सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम बीच में नहीं बदले जा सकते
Supreme Court : मामला राजस्थान हाईकोर्ट से जुड़ा है, जहां 2013 में अनुवादकों के पदों पर भर्ती के दौरान कुछ नियमों में बदलाव किया गया था, जिन उम्मीदवारों ने पहले ही लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा दे दी थी, उन्हें प्रक्रिया के बीच में ही बताया गया कि केवल वही उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य होंगे।
सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया के नियम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला।
Supreme Court : सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया के नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ ने अपने अहम फैसले में गुरुवार को कहा कि सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम बीच में नहीं बदले जा सकते। पांच जजों की संविधान पीठ के सामने ये सवाल था कि क्या भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि सरकारी पदों में भर्ती की प्रकिया पूर्णतया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
अनुवादकों के पदों पर भर्ती मामले में फैसला
मामला राजस्थान हाईकोर्ट से जुड़ा है, जहां 2013 में अनुवादकों के पदों पर भर्ती के दौरान कुछ नियमों में बदलाव किया गया था, जिन उम्मीदवारों ने पहले ही लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा दे दी थी, उन्हें प्रक्रिया के बीच में ही बताया गया कि केवल वही उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य होंगे, जिन्होंने अपनी परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत अंक हासिल किए होंगे।
नियमों से बीच में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती-SC
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले निर्धारित किए जा चुके नियमों से बीच में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि चयन नियम मनमाने नहीं बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप होने चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से कहा कि पारदर्शिता और गैर-भेदभाव सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया की पहचान होनी चाहिए तथा बीच में नियमों में बदलाव करके उम्मीदवारों को हैरान- परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
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टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पे...और देखें
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