भोपाल गैस कांड के कचरे के निपटान में हस्तक्षेप नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट, कचरा जलाने के पहले परीक्षण की तैयारी शुरू

Bhopal Gas Tragedy: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह यूनियन कार्बाइड प्लांट में कचरे के निपटान से संबंधित मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा, क्योंकि इस मामले की निगरानी पहले से ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय कर रहा है। उपरोक्त टिप्पणी करने के बाद, जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।

Supreme Court

यूनियन कार्बाइड प्लांट में कचरे के निपटान से संबंधित मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट

तस्वीर साभार : भाषा

Bhopal Gas Tragedy: मध्यप्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पीथमपुर की एक अपशिष्ट निपटान इकाई में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म किए जाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। उच्चतम न्यायालय ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने के कचरे को धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थानांतरित कर उसका निपटान करने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने ‘यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड’ के संयंत्र से निकले अपशिष्ट के निपटान के बृहस्पतिवार को होने वाले परीक्षण पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कचरे के निपटान का विरोध करने वाली नागरिक संस्थाओं के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से इस मामले में सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के पास जाने को कहा है। इंदौर संभाग के आयुक्त दीपक सिंह ने शीर्ष अदालत के इस रुख के बाद कहा कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को जलाने के पहले परीक्षण की तैयारी शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक इस परीक्षण के पहले चरण में 10 टन कचरा जलाया जाएगा।

1984 में हुई थी भोपाल गैस त्रासदी

भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन कचरा दो जनवरी को पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई लाया गया था। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए। यह कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद से इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई है जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज किया है।

प्रदेश सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं। प्रदेश सरकार ने इस कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए पिछले दिनों पीथमपुर और इसके आस-पास के स्थानों पर जन संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। प्रदेश सरकार के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और सेमी प्रोसेस्ड अवशेष शामिल हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब लगभग नगण्य हो चुका है। बोर्ड के मुताबिक, फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी (रेडियोएक्टिव) कण भी नहीं हैं।

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Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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