देश के दुश्मन हैं हिंदू राष्ट्र की बात करने वाले, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का एक और विवादित बयान

Swami Prasad Maurya : बांदा में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, 'भारतीय संविधान कहता है कि देश में जन्मस्थान, लिंग, जाति एवं आस्था के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। एक हिंदू यदि हिंदू राष्ट्र की मांग कर सकता है तो दूसरे क्यों नहीं? जो लोग हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं वे देश के दुश्मन हैं।' इस बयान पर भाजपा मौर्य पर पलटवार कर सकती है।

Swami Prasad Maurya

हिंदू राष्ट्र पर मौर्य का विवादित बयान।

Swami Prasad Maurya : समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। हिंदू राष्ट्र और देश के विभाजन पर दिए गए उनके इस बयान पर राजनीतिक विवाद शुरू हो सकता है। यूपी के बांदा में मौर्य ने देश के बंटवारे के लिए मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना को नहीं बल्कि हिंदू महासभा को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले लोग देश के दुश्मन हैं।

'देश के दुश्मन हैं हिंदू राष्ट्र की बात करने वाले'

मौर्य ने कहा, 'भारतीय संविधान कहता है कि देश में जन्मस्थान, लिंग, जाति एवं आस्था के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। एक हिंदू यदि हिंदू राष्ट्र की मांग कर सकता है तो दूसरे क्यों नहीं? जो लोग हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं वे देश के दुश्मन हैं।'

मौर्य बोले-हिंदू महासभा की वजह से हुआ देश का बंटवारा

सपा नेता ने आगे कहा कि बहुत समय पहले हिंदू महासभा ने हिंदू राष्ट्र की मांग की...इसका नतीजा देश के बंटवारे के रूप में हुआ। पाकिस्तान एक अलग देश बन गया। उन्होंने कहा, 'भारत और पाकिस्तान का विभाजन जिन्ना की वजह से नहीं हुआ बल्कि हिंदू महासभा ने दो देश की मांग की थी जिसके बाद देश का विभाजन हुआ।'

मौर्य पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

सपा नेता पहले भी हिंदू धर्म और राम चरित मानस को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं। कुछ दिन पहले हरदोई के एक कार्यक्रम में सपा नेता ने कहा कि 'हिंदू एक फारसी शब्द है जिसका मतलब होता है चोर, नीच। हम जिसको हिंदू धर्म मानते हैं वो धर्म है ही नहीं। ये धर्म कैसे हो सकता है।' उन्होंने कहा कि अगर हिंदू धर्म होता तो सभी को बराबरी का दर्जा मिलता। हिंदू राष्ट्र की मांग भी संविधान विरोधी है और ऐसा करने वाले देशद्रोही।'
मौर्य राम चरित मानस पर भी सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा है कि 'रामचरित मानस एक धार्मिक ग्रंथ है? गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ों, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं। किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।'
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