स्वामी प्रसाद मौर्या ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा, राज्यसभा के लिए टिकट न मिलने से नाराज या कोई और वजह?

Swami Prasad Maurya Resigns: स्वामी प्रसाद मौर्या ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है।

Swami Prasad Maurya

स्वामी प्रसाद मौर्या

Swami Prasad Maurya Resigns: स्वामी प्रसाद मौर्या ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह इस्तीफा सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को न देकर सोशल मीडिया पर शेयर किया है। उन्होंने पार्टी के पद से न सिर्फ इस्तीफा दिया है, बल्कि एक लंबा-चौड़ा पत्र भी अखिलेश यादव के नाम लिखा है। इसमें स्वामी प्रसाद मौर्या ने कई आरोप लगाए हैं। हालांकि, यह भी लिखा है कि वह पार्टी में किसी पद पर रहे बिना पार्टी को सशक्त बनाने का काम करते रहेंगे।
उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि जबसे मैं समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर ने बहुजन हिताय- बहुजन सुखाय की बात की तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने सोशलिस्टो ने बांधी गांठ, पिछड़ा पौवे सौ में साठ का नारा दिया था। किंतु पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी किया गया।

सुझावों को नजरअंदाज किया गया

स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपने पत्र में कहा, जनवरी-फरवरी 2023 को मैंने आपके पास जातिवार जनगणना कराने समेत कई मुद्दों के लिए रथ यात्रा निकालने का सुझाव रक्षा। इस पर आने सहमति देते हुए कहा था कि होली के बाद यात्रा को निकाला जाएगा। आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। उन्होंने कहा, नेतृत्व की मंशा के अनुरूप मैंने फिर से कहना उचित नहीं समझा। उन्होंने आगे कहा, मैंने भाजपा के मकड़जाल में फंसरक भाजपा मय हो गए आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को वापस लाने की कोशिश की। मगर, पार्टी के कुछ छुटभईये व कुछ बड़े नेताओं ने "मौर्य जी का निजी बयान है" कहकर इस धार को कुंठित करने की कोशिश की। मगर, मैंने अन्यथा नहीं लिया।

धमकियां मिलीं, लेकिन रुका नहीं

इस दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने धमकियां मिलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, मुझे अपने अभियान के दौरान गोली मारने, हत्या कर देने, तलवार से सिर कलम करने, जीभ काटने, नाक-कान काटने, हाथ काटने संबंधित दो दर्जन धमकियां मिलीं। मेरी हत्या के लिए 51 करोड़ रुपये की सुपारी भी दी गई। यह बात दीगर है कि प्रत्येक बार मैं बाल-बाल बचता चला गया। अपनी सुरक्षा की चिंता किए बिना मैं अपने अभियान में निरंतर चलता रहा।
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