जिसने नरेंद्र को बनाया विवेकानंद,जानें उस गुरू के बारे में क्या थी उनकी राय
Swami Vivekananda Birthday: स्वामी विवेकानंद ने नवंबर 1894 में अमेरिका यात्रा के दौरान अपने एक शिष्य को लिखे पत्र में बताया था कि उनके गुरू राम कृष्ण परमहंस का जीवन एक असाधारण प्रकाशपुंज की तरह था। जिनके जरिए कोई भी व्यक्ति पूरे हिंदू धर्म को समझ सकता था।
स्वामी विवेकानंद जयंती
रामकृष्ण परमहंस का जीवन प्रकाशपुंज की तरह
स्वामी विवेकानंद ने नवंबर 1894 में अमेरिका यात्रा के दौरान अपने एक शिष्य को लिखे पत्र में बताया था कि उनके गुरू राम कृष्ण परमहंस का जीवन एक असाधारण प्रकाशपुंज की तरह था। जिनके जरिए कोई भी व्यक्ति पूरे हिंदू धर्म को समझ सकता था। उन्होंने अपने जीवन से लोगों को यह बताया कि ऋषि और अवतारी पुरूष लोगों को वास्तव में क्या शिक्षा देना चाहते थे। परमहंस ने अपने 51 साल के जीवन में 5000 साल के राष्ट्रीय आध्यात्मिक जीवन को जिया था।
उनका एक शब्द, वेदों और वेदांत से भारी
विवेकानंद ने अपने स्वामी रामकृष्ण परमहंस के बारे में लिखा है कि मेरा सबसे अच्छा भाग्य यह है कि मैं उनका जीवन दर जीवन सेवक रहूंगा। उनके लिए मुझे कहा गया एक शब्द, वेद और वेदांत से भी जयादा भारी है।
इनका करों त्याग
यदि कोई ऐसी चीज है जिसे श्री रामकृष्ण ने हमें त्यागने को कहा है, तो वह वासना और धन है। क्योंकि ये दोनों चीजें ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग को संकीर्ण कर देती हैं।
मनुष्य बन सकता है पूर्ण
अपने गुरु की उपस्थिति में मुझे पता चला कि मनुष्य इस शरीर में भी पूर्ण हो सकता है। उन होठों ने कभी किसी को गाली नहीं दी, कभी किसी की निंदा भी नहीं की। वे आंखें बुराई देखने की संभावना से परे थीं, उस मन ने बुराई सोचने की शक्ति खो दी थी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रि...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited