Swati Maliwal Case: बिभव कुमार को झटका, 14 दिनों के लिए बढ़ाई गई न्यायिक हिरासत

Delhi News: स्वाति मालीवाल से मारपीट मामले में अदालत से केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार को एक और तगड़ा झटका लगा है। अदालत ने बिभव की न्यायिक हिरासत 14 दिनों तक बढ़ा दी है। उन्होंने जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। आपको बताते हैं कि इस मामले से जुड़ा सारा अपडेट।

Bibhav Kumar Judicial Custody

बिभव कुमार।

Swati Maliwal Case: दिल्ली की सियासत में इन दिनों जबरदस्त उबाल देखने को मिल रहा है। स्वाति मालीवाल केस में आरोपी बिभव कुमार इन दिनों जेल की सलाखों के पीछे हैं। पुलिसिया पूछताछ का सिलसिला जारी है। इसी बीच बिभव को अदालत से एक और बड़ा झटका लगा है। 31 मई को बिभव की ज्यूडिशियल कस्टडी खत्म हो रही थी, इसी बीच उनकी हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी गई है।

14 दिनों तक बढ़ी बिभव कुमार न्यायिक हिरासत

स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में बिभव कुमार की न्यायिक हिरासत में इजाफा कर दिया है। अदालत ने बिभव को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के वकील ने दिल्ली पुलिस की याचिका का विरोध किया और कहा कि उसके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे उनका सामना कराए जाने की जरूरत हो।

बिभव की याचिका पर अदालत का फैसला सुरक्षित

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने या नहीं किए जाने के मसले पर अपना फैसला शुक्रवार को सुरक्षित रख लिया, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) की सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के सिलसिले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने याचिका पर नोटिस जारी किए जाने का इस आधार पर विरोध किया कि यह (याचिका) सुनवाई योग्य नहीं है।

दोनों पक्षों की ओर से वकीलों ने पेश की दलीलें

न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने दोनों पक्षों की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कहा, 'इस मामले के सुनवाई योग्य होने या नहीं होने को लेकर आदेश सुरक्षित रखा जाता है।' कुमार ने अपनी याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन तथा कानून के विरुद्ध घोषित करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि धारा 41ए के अनुपालन संबंधी आपत्ति को अधीनस्थ अदालत ने पहले ही खारिज कर दिया है और इसलिए याचिकाकर्ता को रिट याचिका दायर करने के बजाय संबंधित आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि एक वैकल्पिक समाधान है और याचिकाकर्ता को उसका इस्तेमाल करना चाहिए।

वकील ने कहा- ये कानून का भी उल्लंघन है

बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कानून का भी उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की कोई आवश्यकता या कारण नहीं था। उन्होंने तर्क दिया कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को किसी ‘अप्रत्यक्ष उद्देश्य’ से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उनकी अग्रिम जमानत अधीनस्थ अदालत में लंबित थी और उन्होंने जांच में सहयोग करने की स्वयं इच्छा जताई थी।
दिल्ली की एक सत्र अदालत ने बिभव कुमार की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी थी। मालीवाल ने आरोप लगाया है कि 13 मई को जब वह मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास पर गई थी तो केजरीवाल के निजी सहायक कुमार ने उनके साथ मारपीट की थी। कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह पुलिस हिरासत में हैं।
(इनपुट- एजेंसी)
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आयुष सिन्हा author

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