Sengol: सेंगोल की स्थापना के समय नई संसद में गूंजेगा नादस्वरम, तमिलनाडु की अनूठी परंपरा से रूबरू होगा देश
Sengol News: प्राचीन भारत की राज परंपरा में सेंगोल (राजदंड) सम्राट की शक्ति एवं अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। 1947 में अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस सेंगल को लॉर्ड माउंटबेटेन से स्वीकार किया। सेंगोल तमिल भाषा के शब्द 'सेम्मई' से निकला है। इसका अर्थ धर्म, सच्चाई और निष्ठा होता है। यह सोने का बना हुआ है और इसके शीर्ष पर नंदी आसीन हैं।
28 मई को पीएम मोदी करेंगे नए संसद भवन का उद्घाटन।
Sengol News: आगामी 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब संसद की नई इमारत का उद्घाटन करेंगे तो देश तमिलनाडु की ऐतिहासिक सांस्कृतिक परंपरा से रूबरू होगा। संसद की नई इमारत में लोकसभा स्पीकर के आसन के समीप सेंगोल (राजदंड) को स्थापित किया जाएगा। रिपोर्टों के मुताबिक तमिलनाडु से आए संत धार्मिक अनुष्ठान के बाद सेंगोल को स्पीकर के आसन के समीप स्थापित करेंगे। तमिलनाडु से आए कलाकार अपनी प्रस्तुति से माहौल संगीतमयी बनाएंगे।
राजदंड का प्रतीक है सेंगोल
प्राचीन भारत की राज परंपरा में सेंगोल (राजदंड) सम्राट की शक्ति एवं अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। 1947 में अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस सेंगल को लॉर्ड माउंटबेटेन से स्वीकार किया। सेंगोल तमिल भाषा के शब्द 'सेम्मई' से निकला है। इसका अर्थ धर्म, सच्चाई और निष्ठा होता है। यह सोने का बना हुआ है और इसके शीर्ष पर नंदी आसीन हैं।
तमिलनाडु की परंपरा का होगा पालन
रिपोर्टों के अनुसार 28 मई को संसद की नई इमारत के उद्घाटन के दौरान सेंगोल को स्थापित करने के लिए एक धार्मिक अनुष्ठान होगा। संसद भवन में सेंगोल का प्रवेश उत्सवयुक्त माहौल एवं भव्य जुलूस के साथ होगा। सूत्रों का कहना है कि तमिलनाडु की परंपरा एवं मान्यता के अनुरूप सेंगोल की स्थापना की जाएगी। जुलूस में संगीतकारों का एक समूह होगा जो तमिलनाडु के वाद्ययंज्ञ पर नादस्वरम बजाएगा।
पवित्र जल से सेंगोल का होगा शुद्धिकरण
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी इन कलाकारों के साथ संसद में प्रवेश करेंगे। पीएम तमिलनाडु की संस्कृति एवं परंपरा में रचे-बसे नजर आ सकते हैं। इस दौरान तमिलनाडु के शैवेति मठ के पुजारी एवं 'अधीनम' लोकसभा की सौंध में मौजूद रहेंगे। सौंध में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री इन संतों एवं पुजारियों का स्वागत करेंगे। ये संत एवं 'अधीनम' सेंगोल का शुद्धिकरण पवित्र जल से करेंगे।
स्पीकर के आसन के समीप स्थापित होगा सेंगोल
सेंगोल की स्थापना के समय तमिल मंदिरों के कलाकार मधुर स्वर में 'कोलारु पढिगम' गाएंगे। इस धार्मिक अनुष्ठान के संपन्न होने के बाद सेंगोल को पीएम मोदी को सौंपा जाएगा जिसक बाद प्रधानमंत्री कांच के एक केस में रखे गए सेंगोल को स्पीकर के आसन के बगल में स्थापित करेंगे। यह प्रतीकात्मक कार्यक्रम यह रेखांकित करेगा कि भारत का लोकतांत्रिक इतिहास एक नए युग में प्रवेश कर गया है।
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