तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को राहत नहीं, गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज
Senthil Balaji Case: पीठ ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और हिरासत के आदेश को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती।
Supreme-court
Senthil Balaji Case: धन शोधन मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी और उनकी पत्नी मेगाला की याचिकाएं खारिज कर दीं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने बालाजी को 12 अगस्त तक पांच दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया।
न्यायमू्र्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने इस मुद्दे को एक वृहद पीठ के पास भेज दिया कि रिमांड के शुरुआती 15 दिनों के बाद पुलिस हिरासत की अनुमति नहीं है। पीठ ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और हिरासत के आदेश को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती।
14 जून को हुई थी गिरफ्तारी
बालाजी तमिलनाडु सरकार में अब भी मंत्री हैं। उनके पास कोई विभाग नहीं है। उन्हें राज्य के परिवहन विभाग में ‘नौकरी के बदले नकदी’ संबंधी कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में 14 जून को गिरफ्तार किया गया था। बालाजी और उनकी पत्नी ने गिरफ्तारी को बरकरार रखने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। प्रवर्तन निदेशालय ने उच्चतम न्यायालय में पहले कहा था कि बालाजी जांच एजेंसी को हिरासत में पूछताछ करने के उसके अधिकार का इस्तेमाल करने और नौकरियों के बदले नकदी घोटाले की सच्चाई सामने लाने से रोक रहे हैं। न्यायालय ने बालाजी और उनकी पत्नी की याचिकाओं पर दो अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मंत्री एवं उनकी पत्नी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल एवं मुकुल रोहतगी के अपनी-अपनी दलीलें पूरी करने के बाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ईडी के पास नहीं हिरासत में पूछताछ का अधिकार- रोहतगी
सॉलिसिटर जनरल ने सिब्बल और रोहतगी की दलीलों का जवाब देते हुए कहा था कि ईडी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (जो आरोपी की हिरासत और जांच से संबंधित है) के तहत किसी आरोपी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करने का पूरा अधिकार है। रोहतगी ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं और एजेंसी के पास धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत किसी आरोपी से हिरासत में पूछताछ करने का कोई निहित अधिकार नहीं है। आरोपी के वकीलों ने कहा था कि गिरफ्तारी की तारीख से 15 दिन की अवधि समाप्त हो जाने के बाद, जांच एजेंसी हिरासत में पूछताछ का अनुरोध नहीं कर सकती क्योंकि कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है।
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