तवांग पर चीन की टेढ़ी नजर का ये है राज, भारत इन वजहों से पड़ता है भारी
India-China Faceoff in Tawang: तवांग पश्चिमी अरूणाचल प्रदेश में स्थित है और इसकी सीमा चीन और भूटान दोनों से मिलती है। ऐसे में सैन्य रणनीति के लिहाज से यह बेहद अहम लोकेशन पर है। 9 दिसंबर 2022 को दोनों देशों के बीच पूर्वी तवांग के यांगट्सी इलाके में झड़प हुई थी। यांगट्सी इलाके में एक नाला है, जिसके एक तरफ भारतीय सेना रहती है और दूसरी तरफ चीन की सेना रहती है।
मुख्य बातें
- 1959 में जब तिब्बत में स्वायत्ता के लिए चीन के खिलाफ विद्रोह हुआ तो उस वक्त वक्त 14 वें दलाई लामा तवांग के रास्ते ही भारत आए थे।
- तवांग चीन और भूटान की सीमा पर स्थित है, ऐसे में भारत के लिए रणनीतिक रूप से यह इलाका बेहद अहम है।
- भारत और चीन के बीच साल 1962 में भी इस इलाके में झड़प हो चुकी है। और युद्ध के बाद चीन इस इलाके से हट गया था।
Tawang Clash: करीब ढाई साल बाद एक बार फिर चीन ने हिमाकत दिखाई है। चीन की सेना PLA ने 9 दिसंबर को अरूणाचल प्रदेश के तवांग में सीमा पर भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सैनिकों ने अपनी बहादुरी से उनके इरादा नाकाम कर दिए और चीनी सैनिकों को पीछे खदेड़ दिया। इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प भी हुई। जिसमें सैनिकों को मामूली चोटें भी आई हैं। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार चीन सैनिक ज्यादा घायल हुए है। ऐसा पहली बार नही है जब चीन ने तवांग में हिमाकत दिखाई है, साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन ने इस इलाके में दुस्साहस दिखाया था। लेकिन युद्ध समाप्त होने के बाद वह पीछे चला गया था।संबंधित खबरें
रणनीतिक रूप से बेहद अहम है तवांगसंबंधित खबरें
तवांग पश्चिमी अरूणाचल प्रदेश में स्थित है और इसकी सीमा चीन और भूटान दोनों से मिलती है। ऐसे में सैन्य रणनीति के लिहाज से यह बेहद अहम लोकेशन पर है। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। लेकिन 1914 में अंग्रेजों के समय भारत-चीन-तिब्बत के बीच हुए समझौते को चीन मानने से इंकार करता रहा है। इस कारण दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण के लिए बनी मैकमोहन लाइन का उल्लंघन चीन करता आया है। असल में चीन, तिब्बत को स्वतंत्र देश नहीं मानता है और वह बार-बार अरूणाचल प्रदेश को तिब्बत यानी चीन का हिस्सा कहता है।संबंधित खबरें
रिपोर्ट के अनुसार 9 दिसंबर 2022 को दोनों देशों के बीच पूर्वी तवांग के यांगट्सी इलाके में झड़प हुई थी। यांगट्सी इलाके में एक नाला है, जिसके एक तरफ भारतीय सेना रहती है और दूसरी तरफ चीन की सेना रहती है। चीन और भूटान की सीमा पर स्थित होने के कारण अगर चीन तवांग के इलाकों में कब्जा कर लेगा तो न केवल वह भारत के खिलाफ युद्द की स्थिति में मजबूत पोजीशन पर होगा, बल्कि वह अरूणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताने का राग अलापना तेज कर देगा।संबंधित खबरें
तवांग से ही भारत आए थे दलाई लामा संबंधित खबरें
असल में जब 1959 में जब तिब्बत में स्वायत्ता के लिए चीन के खिलाफ विद्रोह हुआ तो उस वक्त चीन ने तिब्बतियों के साथ बड़ा क्रूर व्यवहार किया था। उस वक्त 14 वें दलाई लामा तवांग के रास्ते ही भारत आए थे। और बाद में भारत ने उन्हें हिमाचल प्रदेश में शरण दी। चीन को यह बाद भी हमेशा खटकती रहती है कि भारत ने दलाई लामा को शरण दे रखी है। बौद्ध धर्म में तवांग का बेहद अहम महत्व है। और वह छठे दलाई लामा का जन्म स्थान भी है। ऐसे में तवांग में तिब्बती लोगों की काफी संख्या है। चीन को लगता है कि तवांग का इलाका भारत में रहने से वह तिब्बतियों की स्वायत्ता की मांग को कुचल नहीं सकता। ऐसे में तवांग पर टेढ़ी नजर रखता है।संबंधित खबरें
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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