मोरबी एक और हादसे का शिकार,इस कंपनी ने की थी केबल पुल की मरम्मत,घड़ी के लिए दुनिया में फेमस

Morbi Cable Bridge Accident: मच्छू नदी पर बना केबल ब्रिज मोरबी का प्रमुख पर्यटन स्थल है, और उस पर जाने के लिए पर्यटकों को फीस देनी पड़ती है। ऐसे में गुजरात नव वर्ष के मौके पर, बिन फिटनेस सर्टिफिकेट लिए पुल को पब्लिक के लिए खोलने की एक बड़ी वजह कमाई हो सकती है।

मुख्य बातें
  • 1879 में बने केबल ब्रिज को बीते मार्च में मरम्मत के लिए, जनता के लिए बंद कर दिया गया था।
  • ओरेवा ग्रुप दुनिया भर में घड़ियों के लिए फेमस रहा है। यह कंपनी अजंता के नाम से घड़ी बनाती है।
  • आज से 43 साल पहले मोरबी एक बड़े हादसे को देख चुका है, जब बांध टूटने से कम से कम 1800 की जानें चली गईं थीं।

Morbi Cable Bridge Accident: रविवार को गुजरात में मोरबी शहर (Morbi) में मच्छू नदी पर बना केबल ब्रिज (Cable Bridge)टूट गया। हादसे के वक्त पुल पर करीब 300 लोग मौजूद थे, जो नदी में जा गिरे। खबर लिखे जाने के वक्त तक 132 लोगों की मौत हो चुकी है।जबकि 50 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। अभी भी बचाव कार्य जारी है। साल 1887 में बने केबल ब्रिज (Morbi Cable Bridge) को बीते मार्च में मरम्मत के लिए, जनता के लिए बंद कर दिया गया था। और 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष दिवस पर इसे फिर से खोल दिया गया। लेकिन पुल दोबारा पब्लिक के लिए खोलने में बड़ी लापरवाही सामने आई है। मरम्मत करने वाली कंपनी ने बिना फिटनेस सर्टिफिकेट लिए ही इस ब्रिज को खोल दिया।

सवाल उठता है कि कंपनी ने बिना सर्टिफिकेट लिए पुल को क्यों खोल दिया। मच्छू नदी पर बना यह केबल ब्रिज मोरबी का प्रमुख पर्यटन स्थल है, और उस पर जाने के लिए पर्यटकों को फीस देनी पड़ती है। ऐसे में गुजरात नव वर्ष के मौके पर पुल को पब्लिक के लिए खोलने की एक बड़ी वजह कमाई हो सकती है।हादसे के बाद यह सवाल उठ रहा है कि ब्रिज का काम किस कंपनी के पास था और उसके पास इस तरह के केबल ब्रिज के संचालन का क्या अनुभव है..

15 साल के लिए ओरेवा ग्रुप को मिला है कांट्रैक्ट

तो इसका जवाब मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला से मिलता है। न्यूज एजेंसी के अनुसार जाला का कहना है कि पुल के संचालन और रखरखाव का जिम्मा, 15 साल के लिए ओरेवा कंपनी को दिया गया था। जिसने इस साल मार्च में मरम्मत कार्य शुरू किया था। और 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के मौके पर मरम्मत के बाद फिर से खोल दिया गया। लेकिन जाला ने एक बड़ा दावा किया है। जिसमें उनका कहना है कि पुल का नगरपालिका ने अभी तक (मरम्मत कार्य के बाद) कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है। ऐसे में कंपनी के इरादे में सीधे सवाल उठते हैं, कि ऐसी क्या जल्दी थी, कि बिना फिटनेस सर्टिफिकेट लिए ही पुल को पब्लिक के लिए खोल दिया गया।

क्या करता है ओरेवा ग्रुप (Oreva Group)

ओरेवा ग्रुप दुनिया भर में घड़ियों के लिए फेमस रहा है। यह कंपनी अजंता के नाम से घड़ी बनाती है। कंपनी के वेबसाइट के अनुसार एक समय कंपनी घड़ी बनाने वाली दुनिया की प्रमुख कंपनियों में शामिल हो गई थी। इसके बाद कंपनी CFL, LED लाइटिंग प्रोडक्ट का भी निर्माण कर रही है। बिजनेस को डाइवर्सिफाई करते हुए कंपनी इस समय होम अप्लायंसेस (पंखे, रूम, हीटर आदि), डिजिटल कैलकुलेटर, बिजली के स्विच, केबल और ई-बाइक आदि का भी निर्माण कर रही है। कंपनी का कच्छ जिले में 200 एकड़ में फैला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है।

कंपनी और प्रबंधन पर केस

इस बीच गुजरात के गृहमंत्री हर्ष सांघवी ने कहा है कि पुल की मरम्मत करने वाली ठेकेदार और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। इसके तहत आईपीसी की धाराएं जो जानबूझकर मौत का कारण बनती हैं। उसके आधार पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। ऐसे में अब देखना है कि एफआईआर के बाद 130 से ज्यादा लोगों के मौत के जिम्मेदार लोगों पर किस तरह की कार्रवाई होती है।

पुल क्यों है लोकप्रिय

जिला कलेक्ट्रेट की वेबसाइट के अनुसार मच्छू नदी पर बना यह केबल ब्रिज अपने दौर का इंजीनियरिंग चमत्कार था और यह केबल ब्रिज मोरबी के शासकों द्वारा बनाया गया था। सर वाघजी ठाकोर ने 1922 तक मोरबी पर शासन किया। वह औपनिवेशिक प्रभाव से प्रेरित थे और उन्होंने पुल का निर्माण करने का फैसला किया। पुल निर्माण का उद्देश्य दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस (तत्कालीन राजघराने के निवास) से जोड़ना था। यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा है, और इसकी लंबाई 233 मीटर है।

मोरबी में बांध टूटने से हो गई थी 1800 की मौत !

आज से 43 साल पहले मोरबी ऐसे ही एक हादसे को देख चुका है। दुर्घटना 11 अगस्त 1979 को हुई थी। उस दिन भारी बारिश के कारण मच्छु नदी उफान पर थी। और उस पर बना बांध, दोपहर में टूट गया था। इससे कुछ ही देर में पूरे शहर में तबाही मच गई । damfailures की केस स्टडी के अनुसार इस हादसे में कम से कम 1800 जानें गईं थी। जो कि अधिकमत आंकड़ा 25 हजार तक हो सकता है। जिसमें इंसानों के साथ-जानवरों की जान शामिल है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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