Ramcharitmanas: रामचरितमानस को लेकर परोसा गया वह झूठ, जो आप सबके लिए जानना है जरूरी [Video]

Controversy on Ramcharitmanas: ये वो बिहार है, जहां शिक्षा मंत्री को राम चरित मानस पर पूरा ज्ञान है, लेकिन बिहार के उन युवाओं पर कोई ध्यान नहीं, जो नौकरी मांग रहे हैं, भर्ती निकालने के लिए कह रहे हैं, और जब नौकरी की मांग होती है, तो इन पर लाठियां चलाई जाती हैं, बिहार में टीचर्स के करीब डेढ़ लाख से ज्यादा पद खाली हैं।

Controversy on Ramcharitmanas: बिहार (Bihar) के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर (Chandrashekhar) के हिंदुओं के धर्मग्रंथ रामचरित मानस पर दिए गए विवादित बयान के बाद हल्ला मचा हुआ है। संतों से लेकर सियासी धुरंधरों तक ने चंद्रशेखर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राम चरित मानस के अपमान के पीछे 2024 के लिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और महागठबंधन का सीक्रेट प्लान क्या है। 2024 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को हराने के लिए विपक्ष ने फिर से उसी प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है। जो प्रोजेक्ट नरेंद्र मोदी के सामने कई चुनावों में फेल भी हुआ है। लेकिन विपक्ष को लगता है कि इसी प्रोजेक्ट से नरेंद्र मोदी को हराया जा सकता है। और ये प्रोजेक्ट है जाति आधारित राजनीति का है। जिसकी शुरुआत बिहार से हो चुकी है। इसे इस तरह से समझिए कि 6 जनवरी से बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू हुई और अब रामचरित मानस को लेकर विवादित बातें की जाने लगी हैं।

ऐसे फैलाया जा रहा है झूठ

जाति आधारित जनगणना का राजनैतिक खेल आपको बताएंगे लेकिन पहले राम चरित मानस की बात, जिसकी कुछ चौपाइयों को लेकर पहले भी वामपंथी विचारधारा और उसके जैसी विचारधारा वाले दूसरे लोग ये कह कर सवाल उठाते रहे हैं कि इन चौपाइयों में दलित-पिछड़ा विरोधी बातें की गईं। अब फिर से उन्हीं चौपाइयों की बात अगर बिहार में हो रही है और खुद वहां के शिक्षा मंत्री रामचरित मानस को लेकर ऐसी बातें कर रहे हैं तो इन बयानों के पीछे का राजनैतिक खेल हमें समझना होगा। इसे दो हिस्सों में समझिए-
पहला- भगवान राम पर कैसे झूठ फैलाया जा रहा है
दूसरा- झूठ फैलाकर कैसे 2024 की राजनीति हो रही है

एजेंडा फिक्स!

लेकिन इससे पहले ये भी सोचिए कि जिस बिहार में किसानों पर लाठी चल रही है, युवाओं पर लाठी चल रही है, वहां की सरकार में बैठे नेताओं को किसानों और युवाओं की समस्या नहीं दिखती, उन्हें राम चरित मानस की वो चौपाईयां दिखती हैं, जिनके आधार पर वो अपने राजनैतिक एजेंडे को चला रहे हैं। जबकि आप बिहार का हाल देखिए कि वहां बक्सर जिले में पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है । इसे लेकर वहां के किसान दो महीने से मुआवजे को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं । मंगलवार की रात पुलिस ने किसानों के घर में घुसकर लाठियां बरसाईं । अब सुनिए इस पर तेजस्वी यादव जो बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। उनका दावा है कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। जिस पार्टी के डिप्टी सीएम को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बारे में जानकारी नहीं है। उस पार्टी के नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री को रामचरितमानस के बारे में पूरा ज्ञान है और जो रामचरितमानस घर घर में पूजा जाता है, जिस राम चरित मानस में करोड़ों हिंदुओं की आस्था है, वो रामचरितमानस इन्हें नफरत फैलाने वाला ग्रंथ लगता है। पहले सुनिए बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह को।

मंत्री का बयान

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने रामचरित मानस के उत्तरकांड की 3 चौपाइयों का जिक्र किया है। इसमें पहली चौपाई है--'पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा'। इसका मतलब इन्होंने ये बताया कि समाज के निचले तबके के लोग पढ़ लिख जाएं तो भी पूजनीय नहीं हैं। 'जे बरनाधम तेलि कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा' इसका मतलब इन्होंने ये बताया कि तेली, कुम्हार, कहार, कोल, कलवारा, आदिवासी, दलित ये सब अधम हैं नीच हैं। 'अधम जाति में विद्या पाए भयहु यथा अहि दूध पिलाए' इसका मतलब इन्होंने ये बताया कि नीची जाति का व्यक्ति विद्या पाकर सांप की तरह जहरीला हो जाता है।

जानिए हकीकत

ये चौपाइयां रामचरित मानस के किस कांड में हैं और इनका असली मतलब क्या है वो बता रहे हैं। पहली बात तो ये चौपाई अधूरी है। बिहार के शिक्षा मंत्री ने सही तरीके से चौपाई भी नहीं पढ़ी। और अपने राजनैतिक एजेंडे के हिसाब से चौपाई का अर्थ भी गलत निकाला। आपको बताता हूं कि सही चौपाई क्या है। सही और पूरी चौपाई है।
सापत, ताढ़त परुष कहंता । विप्र पूज्य अस गावहिं संता।।
पूजिअ विप्र सील गुन हीना । सूद्र न गुन गन ज्ञान प्रवीणा।।

इस संदर्भ में कही थी बात

पहली बात तो ये कि शिक्षामंत्री जी को पूरी चौपाई ही नहीं पता थी या पता भी थी तो उन्होंने आधी अधूरी सुनाई... और दूसरा ये कि उन्हें ये नहीं पता कि ये चौपाई उत्तरकांड में नहीं अरण्यकांड में भगवान राम और कबंध राक्षस के बीच संवाद के रूप में है। इस चौपाई का अर्थ है, 'शाप देता हुआ, मारता हुआ, कठोर वचन कहता हुआ ब्राह्मण भी पूजनीय है, ऐसा संत कहते हैं। वो ब्राह्मण पूजनीय है जो शीलवान हो और गुणों से हीन हो। अगर जन्म से ब्राह्मण होने के बाद भी व्यक्ति सदाचार नहीं करता तो वो शूद्र है और वो पूजनीय नहीं है। '

तीन गुण

चौपाई में तुलसीदास जी ने गुण हीन शब्द लिखा है। और इसी शब्द से भ्रम पैदा हुआ है। इसे समझिए। गीता के 14वें अध्याय में श्रीकृष्ण ने भी मुनष्य के तीन गुणों के बारे में बताया है। तीन गुण होते हैं सतगुण, रजोगुण और तमोगुण। सतगुण का अर्थ है सत्य को पहचानना, जीवन के सत्य को समझने वाला गुण। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि सतगुण से मनुष्य को सुख प्राप्त होता है। रजोगुण का अर्थ है लोभ उत्पन्न होना, रजोगुण के कारण मनुष्य कर्म के फल की उम्मीद करता है, उसके अंदर लोभ बढ़ता है। मन चंचल हो जाता है। तमोगुण का अर्थ है तामसी यानी दैत्यों की प्रवृति पैदा होना। रजोगुण की वजह से लोभ बढ़ता है और लोभ पूरा करने के लिए मनुष्य तमोगुण के प्रभाव में आ जाता है।

जानिए अर्थ

तीन गुणों के आधार पर कई रामकथावचक इस चौपाई का अर्थ बताते हैं कि, ' वो ब्राह्मण पूजनीय है जो शीलवान हो और जिस में तीनों गुणों-सतगुण, रजोगुण, तमोगुण ना हों, वो इन तीनों गुणों से ऊपर उठ चुका हो और सूद्र का अर्थ जाति से नहीं बल्कि कर्म से है, यानी अगर मनुष्य जन्म से ब्राह्मण है लेकिन उसका आचरण सत्य और धर्म पर आधारित नहीं है तो वो सूद्र है। भगवान को नहीं मानता है, पूजा नहीं करता है वो सूद्र है। महात्माओं का, संतों का सम्मान नहीं करता है तो वो सूद्र है। ऐसे लोग भले ही ब्राह्मण हो या ज्ञानी हों वो पूज्यनीज नहीं होते हैं।'

शिक्षा मंत्री का अधूरा ज्ञान

चंद्रशेखर सिंह ने सैकड़ों छात्रों के सामने एक और चौपाई सुनाई..वो भी उन्होंने आधी ही सुनाई । पहले बताते हैं, उन्होंने क्या कहा...अधम जाति में विद्या पाए भयहु यथा अहि दूध पिलाए। इसका मतलब उन्होंने बताया कि नीची जाति का व्यक्ति विद्या पाकर सांप की तरह जहरीला हो जाता है। उन्होंने यहां भी चौपाई की अधूरी लाइन बोली....ये चौपाई रामचरितमानस के उत्तरकांड में लिखी हुई है...इसकी पहली लाइन ही नहीं बताइ बिहार के शिक्षा मंत्री ने..क्योंकि वो बताते तो उनका एजेंडा पूरा नहीं हो पाता । आपको दोहे की पूरी चौपाई का पतान होना चाहिए, जो है-
'हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ॥
अधम जाति मैं बिद्या पाएं । भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ॥3॥

उत्तरकांड में है ये जिक्र

ये चौपाई...रामचरितमानस के उत्तरकांड में है...जब गरुड़ देव और काक भुशुण्डी के बीच संवाद होता है । अब इस चौपाई का अर्थ भी समझ लीजिए...गुरुजी ने शिवजी को हरि का सेवक कहा...यह सुनकर हे पक्षीराज !मेरा हृदय जल उठा। मैं पापी विद्या पाकर ऐसा हो गया जैसे दूध पिलाने से साँप। यहां काक भुशुण्डी...गरुड़ जी को गुरुजी कह रहे हैं । और पक्षीराज गरुड़ जी को कह रहे हैं.... यहां काक भुशुणडी खुद के लिए अधम जाति का इस्तेमाल कर रहे हैं यानी वो खुद को पापी कह रहे हैं क्योंकि काक भुशुणडी को तो श्राप मिला था...इसीलिए वो कौआ बन गए थे । लेकिन बिहार के मंत्री ने सैकड़ों छात्रों के सामने रामचरित मानस के उस चौपाई की क्या व्याख्या कि नीची जाति का व्यक्ति विद्या पाकर सांप जैसा विषैला हो जाता है ।

इस पर होता है अक्सर विवाद

रामचरित मानस की एक और चौपाई है जिसका अलग अलग अर्थ निकाल कर अक्सर विवाद खड़ा किया जाता है। 'ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी' इस चौपाई को आधार बनाकर रामचरितमानस पर आरोप लगाया जाता है कि इस में पिछड़ों और महिलाओं का अपमान किया गया है। जबकि ये पूरी तरह से गलत और निराधार है। इस चौपाई का अर्थ संदर्भ के साथ आपको जानना चाहिए। प्रसिद्ध रामकथा वाचक रामभद्राचार्य ने सही चौपाई और उसका अर्थ बताया है। जिसके मुताबिक पूरी चौपाई है-
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं।
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी

असल अर्थ

रामचरित मानस में ये चौपाई श्रीराम और समुद्र के बीच संवाद के रूप में आती है। जब समुद्र ने लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तो श्रीराम क्रोधित हो गए, और समुद्र को सुखाने का निर्णय किया। ये देख कर समुद्र देव प्रकट हुए और श्रीराम से क्षमा मांगते हुए ये चौपाई कही थी। राम कथा वाचक रामभद्राचार्य के अनुसार, 'समुद्र देव ने श्रीराम से कहा कि अच्छा हुआ जो आपने मुझे शिक्षा दी। लेकिन मर्यादा यानी जीवों का स्वभाव भी आपने ही बनाया है। इसलिए ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और नारी के स्वभाव को ताड़ना यानी समझना और पहचानना चाहिए और उनकी किसी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए।' अगर ढोलक के सुर को नहीं पहचान पाएंगे तो वो बेसुरा बजेगा, गंवार यानी अज्ञानी व्यक्ति को पहचान कर उसी हिसाब से बात करनी चाहिए। शूद्र का अर्थ यहां जाति नहीं बल्कि कर्मचारी से है, यानी कर्मचारियों की पहचान करनी चाहिए और उसकी क्षमता और काबिलियत के अनुसार काम देना चाहिए, इसी तरह से पशु के व्यवहार का बुरा नहीं मानना चाहिए. क्योंकि वो एक नासमझ जीव है...इसी तरह नारी के स्वभाव को भी पहचानना चाहिए, समझना चाहिए तभी उसके साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर पाएंगे। जिस समाज में महिलाओं का सम्मान और अधिकारों का ध्यान नहीं रखा जाता वहां हमेशा हिंसा और तनाव का माहौल रहता है, अफगानिस्तान और ईरान इस बात का सबसे ताजा उदाहरण हैं ।

ताड़ना के अनेक अर्थ

सकल ताड़ना के अधिकारी में ताड़ना शब्द का इस्तेमाल कई अर्थों में किया गया है। हिंदी भाषा के जानकारों के अनुसार- ताड़ना शब्द के सकर्मक क्रिया में कई अर्थ हैं। यहां ताड़ना का अर्थ है...अनुमान लगाना, आंकना, समझना, भांपना। यहां ताड़ना का अर्थ मारने-पीटने से नहीं है। अरे भाई श्रीराम तो वो व्यक्ति हैं जो अपनी सौतेली मां कैकयी की साजिश के बाद भी उनका पूरा सम्मान करते हैं।अपनी पत्नी सीता के अधिकार को बनाए रखने के लिए उन्हें दूसरा विवाह ना करने का वचन देते हैं। राम वनवास के दौरान गरीब सबरी के झूठे बेर खा जाते हैं। सुग्रीव की पत्नी का सम्मान लौटाने के लिए बाली का वध कर देते हैं। और तो और रावण का वध करने के बाद उनकी पत्नी मंदोदरी से क्षमा मांगते हैं। जिस राम को तुलसीदासजी ने महिलाओं का सम्मान करने वाले महापुरुष के रूप में दिखा है वो तुलसीदास किसी महिला के साथ मारपीट वाला व्यवहार के बारे में कैसे लिख सकते हैं , ज़रा विचार कीजिए।
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