रतन टाटा जी के हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में, पीड़ा भुला पाना आसान नहीं, बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आज से ठीक एक महीने पहले रतन टाटा जी के निधन पर एक लेख लिखा है। इस उन्होंने रतन टाटा के निधन की पीड़ा के साथ ही उनके विजन के बारे में भी अपने विचार रखे हैं।
पीएम मोदी ने रतन टाटा को किया याद
PM Modi Writes on Ratan Tata: आज से ठीक एक महीने पहले 9 अक्टूबर को रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोक में डूब गया था। उनके अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया था। उनके जाने का दुख हर किसी की आंखों में नजर आ रहा था। ये वो दिन था जब पीएम मोदी आसियान देशों के लिए रवाना हो रहे थे और रतन टाटा के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए थे. उन्होंने परिजनों से फोन पर बात की थी। मुंबई में हुए अंतिम संस्कार कार्यक्रम में पीएम मोदी की जगह गृह मंत्री अमित शाह गए थे। इसे लेकर ही आज पीएम मोदी ने एक लेख लिखकर अपनी पीड़ी जताई है।
पीएम मोदी ने क्या-क्या लिखा है
आज रतन टाटा जी के निधन को एक महीना हो रहा है। पिछले महीने आज के ही दिन जब मुझे उनके गुजरने की खबर मिली, तो मैं उस समय आसियान समिट के लिए निकलने की तैयारी में था। रतन टाटा जी के हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में है। इस पीड़ा को भुला पाना आसान नहीं है। उनके रूप में भारत ने एक अमूल्य रत्न को खो दिया है।
भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके, उन्होंने नए सपने देखने वाली नई पीढ़ी को जोखिम लेने और सीमाओं से परे जाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने भारत में इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप की संस्कृति विकसित करने में बड़ी मदद की है। आने वाले दशकों में हम इसका सकारात्मक प्रभाव देखेंगे।
रतन टाटा जी ने हमेशा बेहतरीन गुणवत्ता के प्रोडक्ट, बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस पर जोर दिया और भारतीय उद्यमों को ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने का रास्ता दिखाया। आज जब भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो हम ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करते हुए ही दुनिया में परचम फहरा सकते हैं। मुझे आशा है कि उनका ये विजन हमारे देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत वर्ल्ड क्लास क्वालिटी के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा।
रतन टाटा जी ने हमेशा नेशन फर्स्ट की भावना को सर्वोपरि रखा। 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना, इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था। उनके इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि- भारत रुकेगा नहीं, भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है।
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