राजस्थान का सियासी रण बना कांग्रेस के गले की फांस, गहलोत गुट पर एक्शन लेगा हाईकमान!
विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर आए पार्टी पर्यवेक्षक माकन एवं मल्लिकार्जुन खड़गे सोमवार को दिल्ली लौटकर राज्य में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेंगे।
- राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट की लड़ाई तेज
- गहलोत गुट की ओर से कई विधायकों ने रखी शर्त
- विधायकों के बागी रूख पर सख्त फैसला ले सकता है आलाकमान
Rajasthan Political Crisis (रंजीता झा): राजस्थान जारी सियासी संकट के बीच कांग्रेस पार्टी शांति धारीवाल और महेश जोशी को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है। नेताओं से यह पूछा जाएगा कि आखिर उन्होंने पार्टी विरोधी काम क्यों किया। जब केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी तो इसके समानांतर बैठक बुलाने का क्या मतलब है। उनसे पूछा जाएगा कि आखिर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। संभावित कार्रवाई और कारण बताओ नोटिस के बारे में पूछे जाने पर अशोक गहलोत कैबिनेट में मंत्री और मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा, "मैंने जो किया मुझे उसका मुझे कोई अफसोस नहीं है। जो किया वह पार्टी के हित और पार्टी लाइन पर किया।" उन्होंने पार्टी आलाकमान पर भरोसा होने की बात भी कही है।
महेश जोशी का पायलट पर निशाना
टाइम्स नाउ नवभारत के साथ बातचीत में राजस्थान प्रभारी अजय माकन के आरोपों को कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हमने अपनी शर्त रखने की बात कभी नहीं की। उन्होंने कहा, ''हमारी निष्ठा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। हमने पार्टी के हित में ही सबकुछ किया है। जो कांग्रेस की सरकार गिराना चाहते थे उनका विरोध करेंगे।'' महेश जोशी ने इशारों ही इशारों में सचिन पायलट पर निशाना साधा। आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता अजय माकन ने सोमवार को कहा कि राजस्थान में कुछ विधायकों का विधायक दल की आधिकारिक बैठक में शामिल न होकर उसके समानांतर कोई अन्य बैठक करना ''अनुशासनहीनता'' है। माकन ने कहा कि विधायकों का एक समूह सशर्त प्रस्ताव पारित कराने पर जोर दे रहा था, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया।संबंधित खबरें
माकन ने दिए कार्रवाई के संकेतकांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात को मुख्यमंत्री आवास पर होनी थी, लेकिन गहलोत के वफादार कई विधायक बैठक में नहीं आए। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की और फिर वहां से वे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने गए। इस बारे में पूछे जाने पर माकन ने कहा कि जब विधायक दल की कोई आधिकारिक बैठक बुलाई गई हो और यदि कोई उसी के समानांतर एक अनाधिकारिक बैठक बुलाए, तो यह प्रथमदृष्टया में ''अनुशासनहीनता'' है। माकन ने कहा, ''आगे देखेंगे कि इस पर क्या कार्रवाई होती है।'
सोनिया गांधी ने दिए निर्देश
उन्होंने कहा कि अभी यह जानकारी नहीं है कि कितने विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा दिया है। माकन ने कहा कि इन विधायकों के प्रतिनिधि के रूप में धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी एवं मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास उनसे मिलने आए थे और उन्होंने कहा था कि विधायक सशर्त प्रस्ताव पारित कराना चाहते हैं। माकन ने कहा, ''जो विधायक (बैठक में) नहीं आए, उन्हें हम लगातार कहते रहे कि हम एक-एक करके सबकी बात सुनने के लिए यहां आए हैं।'' उन्होंने बताया कि उन्होंने विधायकों से कहा कि ''जो बात आप कहेंगे, वह हम दिल्ली जाकर बताएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हमें सबसे अलग-अलग आमने-सामने बात करने के निर्देश दिए गए हैं।''सत्ता का संघर्षउन्होंने कहा, ''संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी एवं मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास उनके प्रतिनिधियों के तौर पर हमारे पास आए और उन्होंने तीन शर्तें रखीं। सबसे पहले तो उन्होंने कहा कि यदि अगर कांग्रेस अध्यक्ष को निर्णय लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव पारित करना है तो बेशक ऐसा किया जाए, लेकिन उस पर फैसला 19 अक्टूबर के बाद होना चाहिए।' राजस्थान की राजधानी जयपुर में यह सारा घटनाक्रम विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच हुआ। इस स्थिति से मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है। गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुने जाने की चर्चा है।
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