TMC नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट ने किया स्पष्ट
अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने यह स्पष्ट किए जाने का अनुरोध किया था कि क्या शेख की गिरफ्तारी पर रोक का पुलिस को कोई आदेश दिया गया है।
शाहजहां शेख
Shahjahan Sheikh: कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि संदेशखाली में यौन उत्पीड़न एवं जमीन पर जबरन कब्जा करने के आरोपी तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है। अदालत ने निर्देश दिया कि महिलाओं के यौन उत्पीड़न और आदिवासी लोगों की जमीन हड़पने के आरोपों का स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किए गए मामले में शेख, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और राज्य के गृह सचिव को पक्षकार बनाया जाए।
ईडी पर हमले के बाद से शेख फरार
मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम की अगुवाई वाली खंडपीठ ने निर्देश दिया कि हाई कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक नोटिस दिया जाए जिसमें यह कहा गया हो कि शेख को मामले में पक्षकार बनाया गया है, क्योंकि वह फरार हैं और उसे पांच जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय पर भीड़ के हमले के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है। अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने यह स्पष्ट किए जाने का अनुरोध किया था कि क्या शेख की गिरफ्तारी पर रोक का पुलिस को कोई आदेश दिया गया है। इसके जवाब में खंडपीठ ने कहा कि ऐसी कोई रोक नहीं है और पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
हाई कोर्ट ने फैसले को किया स्पष्ट
अदालत ने कहा कि एक अलग मामले में उसने केवल सीबीआई और राज्य पुलिस के उस संयुक्त विशेष जांच दल के गठन पर रोक लगाई थी, जिसे एकल पीठ ने ईडी अधिकारियों पर हमले की जांच करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य भी इस खंडपीठ में शामिल हैं। खंडपीठ ने निर्देश दिया कि मामले पर चार मार्च को फिर से सुनवाई की जाएगी।
राज्यपाल ने मांगी डीजीपी से रिपोर्ट
इस बीच, फैक्ट-फाइंडिंग समिति के छह सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से तत्काल रिपोर्ट मांगी है। संदेशखाली जाते समय पुलिस द्वारा गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने राज्यपाल से मुलाकात की और अवैध गिरफ्तारी और धमकी के खिलाफ कड़ा विरोध जताया। संदेशखाली जा रही इस टीम के छह सदस्यों को रविवार दोपहर पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के भोजेरहाट में गिरफ्तार कर लिया गया। टीम का नेतृत्व पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी कर रहे थे जिसमें चारू बाली खन्ना, भावना बजाज, ओपी व्यास, राजपाल सिंह, अपर्णा बनर्जी और बंदना विश्वास शामिल थे।
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