तवांग में इन भारतीय सैनिकों ने चीन के दांत किए खट्टे, उस रात ऐसे सिखाया सबक
India-China Faceoff in Tawang: जिस वक्त चीनी सैनिकों ने एलएसी पार कर यांगट्सी इलाके में भारतीय सैनिकों से झड़प की थी, उस वक्त भारतीय सेना के तीन बटालियन के जवान मौजूद थे। इस इलाके में यांगट्सी इलाके में एक नाला है, जिसके एक तरफ भारतीय सेना रहती है और दूसरी तरफ चीन की सेना रहती है।
- भारतीय वायु सेना 15 और 16 दिसंबर को समूचे पूर्वी सेक्टर में बड़ा अभ्यास करने जा रही है।
- भारतीय सैनिकों से झड़प के लिए चीनी सैनिक लाठी-डंडे के साथ आए थे।
- चीनी सीमा पर सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान तैनात हैं।
इन तीन रेजिमेंट के जवान मौजूद थे
जिस वक्त चीनी सैनिकों ने एलएसी पार कर यांगट्सी इलाके में भारतीय सैनिकों से झड़प की थी, उस वक्त भारतीय सेना के तीन बटालियन के जवान मौजूद थे। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार अरूणाचल प्रदेश के तवांग में जाट रेजिमेंट, सिख लाइट इंफैट्री, जे एंड के राइफल्स के जवानों ने चीनी सैनिकों के साथ लोहा लिया। चीनी सैनिक अपने साथ डंडे-लाठियां लेकर आए थे। लेकिन इन तीन बटालियन के जवानों के आगे उन्हें मुंह की खानी पड़ी।
रिपोर्ट्स के अनुसार यांगट्सी इलाके में एक नाला है, जिसके एक तरफ भारतीय सेना रहती है और दूसरी तरफ चीन की सेना रहती है। चीन और भूटान की सीमा पर स्थित होने के कारण अगर चीन तवांग के इलाकों में कब्जा कर लेगा तो न केवल वह भारत के खिलाफ युद्द की स्थिति में मजबूत पोजीशन पर होगा, बल्कि वह अरूणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताने का राग अलापना तेज कर देगा। इसी कारण उसकी तवांग इलाके पर टेढ़ी नजर रहती है।
ऐसा है इन तीनों रेजिमेंट का इतिहास
जाट रेजिमेंट का भारत में 1795 से इतिहास से शुरू होता है। और यह 1839 से युद्ध में शौर्य का पराक्रम दिखा रही है। और इस दौरान उसके जवानों को महावीर चक्र, वीर चक्र जैसे वीरता पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
इसी तरह सिख लाइट इंफेन्ट्री का इतिहास 1857 से शुरू होता है लेकिन मौजूदा नाम उसे 1944 में मिला था।
जम्मू और कश्मीर राइफल्स ऐसी बटालियन है जिसे अंग्रेजों ने डेवलप नहीं किया है। बल्कि उसे जम्मू और कश्मीर के राजा गुलाब सिंह ने तैयार किया और बाद में वह भारतीय सेना का हिस्सा बनी। इसी बटालियन के कैप्टन विक्रम बत्रा थे, जिन्हें करगिल युद्ध में मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया।
चीनी सीमा पर भारतीय सेना उठाने जा रही है ये कदम
इसी बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारतीय वायु सेना 15 और 16 दिसंबर को समूचे पूर्वी सेक्टर में युद्धा अभ्यास करने जा रही है। इस अभ्यास में लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, लड़ाकू हेलिकॉप्टर और यूएवी को शामिल किया जाएगा। बताया जा रहा है यह अभ्यास कमान स्तर पर होगा। इस अभ्यास के जरिए वायु सेना चीन के मोर्चे पर अपनी क्षमताओं, काबिलियत एवं तैयारियों को परखेगी। इसमें असम में वायु सेना के ठिकानों तेजपुर, छबुआ, जोरहट और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा को पूरी तरह से सक्रिय करने की तैयारी है। हाशिमारा एयरबेस पर लड़ाकू विमान राफेल तैनात हैं। जबकि चीन की सीमा सुखोई-30 MKI पहले से तैनात है।
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