Diwali से पहले इन कर्मियों को मिली Salary Hike, ये भी पाएंगे बढ़ी हुई Pension
अधिसूचना के अनुसार, यह संशोधित वेतन एक अगस्त, 2017 से प्रभावी है और उन लोगों के लिए लागू है जो इन कंपनियों की सेवा में थे। अधिकारियों और कर्मचारियों को पांच साल के बकाया का भुगतान किया जाएगा। अगस्त 2022 से देय अगला संशोधित वेतन कंपनी और कर्मचारी के प्रदर्शन के आधार पर एक परिवर्तनीय वेतन के रूप में होगा।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
त्यौहारी मौसम में वेतन (Salary) और पेंशन (Pension) के मोर्चे पर दो जगह के लोगों के लिए थोड़ी राहत भरी खबर है। दिवाली (Diwali) से पहले
चार सरकारी बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के वेतन में इजाफे की अधिसूचना जारी की गई है, जबकि उत्तराखंड में आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को मिलने वाली पेंशन की राशि भी बढ़ा दी गई है।
दरअसल, वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र की चार बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के वेतन में औसतन 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी की है, जो अगस्त 2017 से प्रभावी रहेगी। 14 अक्टूबर, 2022 को जारी राजपत्रित अधिसूचना में कहा गया, ‘‘इस योजना को सामान्य बीमा (अधिकारियों के वेतनमान और अन्य सेवा शर्तों का युक्तिकरण) संशोधन योजना, 2022 कहा जा सकता है।’’
अधिसूचना के अनुसार, यह संशोधित वेतन एक अगस्त, 2017 से प्रभावी है और उन लोगों के लिए लागू है जो इन कंपनियों की सेवा में थे। अधिकारियों और कर्मचारियों को पांच साल के बकाया का भुगतान किया जाएगा। अगस्त 2022 से देय अगला संशोधित वेतन कंपनी और कर्मचारी के प्रदर्शन के आधार पर एक परिवर्तनीय वेतन के रूप में होगा।
उधर, उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार ने आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को मिलने वाली पेंशन की राशि 16 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपए प्रतिमाह कर दी है। देश में लागू आपातकाल के दौरान 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 के बीच आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) और भारत की रक्षा अधिनियम के तहत जेल में डाले गए लोगों को 17 जनवरी, 2018 से 16,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव राधा रतुड़़ी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन के तहत दी जानी वाली राशि को 14 अक्टूबर से बढ़ाकर 20,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है। इमरजेंसी के दौरान उक्त दोनों कानूनों का उपयोग राजनीतिक असहमति की आवाज को दबाने के लिए किया गया था। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद इन कानूनों को निरस्त किया गया। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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