आजाद बोल पर पहरेदारी ठीक नहीं, मानहानि पर राजीव गांधी का था यह नजरिया
Defamation case: मानहानि मामले पर राहुल गांधी को सजा सुनाई जा चुकी है और उसका राजनीतिक असर भी हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष एकजुट है। आप सांसद राघव चड्ढा इस विषय पर प्राइवेट बिल लाने वाले हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भूतपूर्व राजीव गांधी की सोच इस विषय कैसी थी।
राजीव गांधी, भूतपूर्व पीएम
- ब्रिटिश राज में मानहानि का था प्रावधान
- आजादी मिलने के बाद आईपीसी 499 में नहीं हुआ बदलाव
- राहुल गांधी को सजा मिलने के बाद चर्चा में आईपीसी 499, 500
राजीव गांधी की ऐसी थी सोच
दरअसल भारत में जब ब्रिटिश शासन था उस वक्त सरकार को किसी तरह का खतरा ना हो, विरोध की आवाज को जगह ना मिले इसके लिए मानहानि शब्द (आईपीसी के सेक्शन 499 और 500) का ईजाद हुआ। ब्रिटिश सरकार की मंशा थी कि जो भारतीय नेता सरकार के खिलाफ जहर उगलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। हालांकि यह कानून देश की आजादी के बाद भी अमल में है। देश की सत्ता से ब्रिटिश टैग तो हट चुका था। लेकिन आजाद भारत की सरकारों को यह महसूस हुआ कि इसे हटाया नहीं जाना चाहिए। समय समय पर इसका इस्तेमाल अलग अलग सरकारों द्वारा किया गया है। अब सवाल यह है कि जब राहुल गांधी को सजा मिली तो कांग्रेस के नेताओं ने इसे डॉरकोनियन क्यों कहा। क्या उन्हें ऐसा कहने का अधिकार है। जानकार बताते हैं कि भूतपूर्व पीएम राजीव गांधी ने तो आईपीसी की धारा 499 और 500 को और व्यापक यूं कहें कि और कठोर बनाने पर बल दिया था। ऐसे में क्या कांग्रेस का विरोध वाजिब है। इस सवाल का जवाब 23 मार्च को कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने खुद दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता खुद कहते हैं कि राहुल गांधी के बयानों से पार्टी को नुकसान होता है ऐसे में हम लोग कौन सी अलग बात कहते हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ क्यों खड़ी है। इसे समझने की जरूरत है।
- आईपीसी की धारा 499 में मानहानि की परिभाषा
- आईपीसी की धारा 500 में मानहानि मामले में सजा का प्रावधान
- बीजेडी नेता ने पहली बार मानहानि हटाने का मुद्दा संसद में उठाया
- आप सांसद राघव चड्ढा लाने वाले हैं प्राइवेट बिल
आप नेताओं पर मानहानि के केस
आपको याद होगा कि आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी के नेता सबसे अधिक आपराधिक मानहानि के शिकार रहे हैं। आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि वो तो आईपीसी की धारा 499 और 500 के खिलाफ प्राइवेट बिल लाने वाले हैं। दरअलल इस सेक्शन का दुरुपयोग हो रहा है कि आजाद आवाज यानी वो आवाज जो सरकारों के खिलाफ है उन्हें दबाया जा रहा है। इसे लोकतंत्र के लिए सही नहीं माना जा सकता। इस सेक्शन का सबसे अधिक दुरुपयोग हमारे नेताओं के खिलाफ किया जा रहा है। जानकार कहते हैं कि दरअसल यह सभी दलों की परिपाटी रही है कि जब वो सत्ता में होते हैं तो आवाज पर पहरेदारी लगाने वाले हर कायदे कानून सही नजर आते हैं। लेकिन विपक्ष में आते ही वही कानून आजाद आवाज के लिए पहरेदार में तब्दील हो जाते हैं।
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