New Criminal Laws: 1 जुलाई से प्रभावी होंगे तीन नए आपराधिक कानून, गृह मंत्रालय ने जारी किया नोटिफिकेशन

New Criminal Laws: एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून "भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम" प्रभावी हो जाएंगे। ये तीन कानून क्रमशः भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और आईपीसी की जगह लेंगे। इसको लेकर गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।

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एक जुलाई से लागू होंगे नए आपराधिक कानून

New Criminal Laws: देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिए लाए गए तीन नए आपराधिक कानून एक जुलाई से लागू होंगे। शनिवार को गृह मंत्रालय ने इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। ये तीनों कानून औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक, एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून "भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम" प्रभावी हो जाएंगे। बता दें, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इन कानूनों को दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सहमति मिलने के बाद इन्हें कानून बना दिया गया। वे क्रमशः भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और आईपीसी की जगह लेंगे।

तीनों कानूनों में किए गए बड़े बदलाव

विशेषज्ञों के अनुसार, तीन नए कानून आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए दंड को और अधिक सख्त बना देंगे। भारतीय न्याय संहिता में जहां 20 नए अपराध जोड़े गए हैं, वहीं आईपीसी में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है। 33 अपराधों में कारावास की सज़ा बढ़ा दी गई है। 83 प्रावधानों में जुर्माने की सज़ा को बढ़ाया गया है, जबकि 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सज़ा का प्रावधान किया गया है और छह अपराधों में 'सामुदायिक सेवा' की सज़ा का प्रावधान किया गया है।

New Criminal Laws: तारीख पे तारीख युग का होगा अंत

गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किए गए तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों को परिभाषित करके उनके लिए सजा तय करके देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। बता दें, राज्यसभा में आपराधिक विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि एक बार लागू होने पर कानून "तारीख-पे-तारीख" युग का अंत सुनिश्चित करेगा और तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा।

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