तिहाड़ जेल की जिंदगी: कैसे खास बनती है कैदियों की दीवाली? देखें इनसाइड स्टोरी

Tihar Jail Prisoner Lifestyle: जेल में कैदी कैसे अपना जीवन जीते हैं उन्हें कौन-कौन सी सुविधा मिलती है, कैसे जेल में कैदी फैक्टरी में काम करते हैं? दिवाली को लेकर Times Now Navbharat ने भारत की ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ के उन पहलुओं की पड़ताल की, जिसके बारे में आम लोगों को पता नहीं था।

कैसी है तिहाड़ जेल के कैदियों की जिंदगी?

Tihar Jail Ground Report: दिल्ली की तिहाड़ जेल ना सिर्फ भारत की बल्कि साउथ ईस्ट एशिया की सबसे बड़ी जेल हैं और इसी जेल की दिवाली और कैदियों की बनाई गई मिठाईयां भी बेहद मशहूर हैं। भले ही जेल का नाम सुनते ही कुछ लोगों के दिमाग में अपराधी किस्म के लोगों का ख्याल आता होगा, लेकिन आप ये जानकर हैरानी होगी कि तिहाड़ के सख्त जान समझे जाने वाले कैदियों के हाथों के हाथों का नरम स्वाद बड़े-बड़े लोगों के दिल को मोह लेता है। तिहाड़ प्रशासन कई कैदियों को स्किल्ड (skilled) वर्कर बना रहा है, तांकि जेल से छूटने के बाद कैदी भाई अपराध छोड़कर ईमानदारी की कमाई कर सके।

इस जेल का नाम क्यों रखा गया था तिहाड़?

टाइम्स नाउ नवभारत की टीम जमीनी पड़ताल के लिए तिहाड़ जेल कैपंस में पहुंची, जहां तकरीबन 12 हजार कैदी अपनी सजा काट रहे हैं। ये जेल दशकों पुरानी है और इसका खास इतिहास और महत्व है। देश के कई बड़े और शातिर अपराधी तिहाड़ में अपने कर्मों की सजा काट रहे हैं। हमारे मन में एक सवाल आया कि आखिर इस जेल का नाम तिहाड़ ही क्यों पड़ा, थोड़ा सा रिसर्च करने पर पता लगा कि तिहाड़ जेल तो देश के आजाद होने के 10 साल बाद 1957 में बनी थी। ये जेल दिल्ली के तिहाड़ गांव के पास बनाई गई थी। इस गांव के नाम पर ही जेल का नाम तिहाड़ पड़ा। बाद में जेल का विस्तार होता रहा और ये पूरे गांव के इलाके में फैल गई। अब इस जेल के आसपास कोई गांव नहीं है, लेकिन इसका नाम आज भी गांव के नाम पर ही है। इस जेल को तिहाड़ आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।

देखें तिहाड़ जेल की ग्राउंड रिपोर्ट

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