सत्य की जीत: रिपोर्टर भावना किशोर, कैमरामैन मृत्युंजय और ड्राइवर परमिंदर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत
05 मई को एक हैरान कर देने वाली घटना में टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्टर भावना किशोर, कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमिंदर सिंह को सड़क दुर्घटना के एक झूठे मामले में फंसाया गया। ये तीनों लुधियाना में अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में होने वाले एक राजनीतिक कार्यक्रम को कवर करने गए थे।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्टर भावना किशोर, कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमिंदर सिंह को अंतरिम जमानत दे दी। अपने फैसले में अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मृत्युंजय और परमिंदर की गिरफ्तारी अवैध थी और इस मामले में गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी और रिमांडिंग मजिस्ट्रेट द्वारा कानून के प्रावधानों को ध्यान में नहीं रखा गया। कोर्ट ने दोनों को पूर्ण जमानत के लिए निचली अदालत में जाने की छूट भी दी है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने भावना किशोर की अंतरिम जमानत की अवधि को भी अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 22 मई 2023 को होगी।
यह फैसला चैनल और उन तीनों के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्हें 'ऑपरेशन शीश महल' के बाद सताया और प्रताड़ित किया जा रहा था। ऑपरेशन शीशमहल में टाइम्स नाउ ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास में किए गए बेहिसाब और अनुचित तरीके से किए गए खर्च का खुलासा किया था।
इस घटना ने राज्य द्वारा अपनी शक्तियों के दुरुपयोग के साथ-साथ एससी/एसटी कानून के दुर्भावनापूर्ण तरीके से इस्तेमाल को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक बहस को छेड़ दिया है। इस पूरे मुद्दे पर टाइम्स नेटवर्क को जनता का जबरदस्त समर्थन मिला है। हाईकोर्ट ने तीनों पीड़ित परिवारों और टाइम्स नेटवर्क को बड़ी राहत दी है। इस फैसले का हम सभी ने स्वागत किया है। यह हमारे इस विश्वास को भी दृढ़ करता है कि सत्य को कभी भी चुप नहीं कराया जा सकता, चाहे साजिशकर्ता कितना भी कुटिल क्यों न हों? यह निडर पत्रकारिता के प्रति टाइम्स नाउ नवभारत की प्रतिबद्धता का एक सबूत है और हम आगे भी परिणामों से डरे बिना सत्ता में बैठे लोगों से असहज करने वाले सवाल पूछते रहेंगे।
इसके पहले 05 मई को एक हैरान कर देने वाली घटना में रिपोर्टर भावना किशोर, कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमिंदर सिंह को सड़क दुर्घटना के एक झूठे मामले में फंसाया गया। ये तीनों लुधियाना में अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में होने वाले एक राजनीतिक कार्यक्रम को कवर करने गए थे। इन पर महिलाओं के एक ग्रुप पर, जो माना जाता है कि AAP के कार्यकर्ता थे, जातिवादी टिप्पणी करने का झूठा आरोप लगाया गया। ये महिलाएं एक ई-रिक्शा पर सवार थीं, जिसने हमारी टीम की कार को पहले टक्कर मारी, फिर विवाद बढ़ा और इसके बाद लुधियाना पुलिस को बुला लिया गया। भावना किशोर की गिरफ्तारी में कई नियमों का उल्लंघन हुआ, जिसमें एक महिला पुलिस अधिकारी के बिना उन्हें हिरासत में लिया गया, सूर्यास्त के बाद गिरफ्तारी हुई, कानूनी और टेलीफोन की पहुंच से उन्हें दूर कर दिया गया और गुरुमुखी लिपि में लिखे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। मृत्युंजय जो कथित दुर्घटना में शामिल कार में सिर्फ एक यात्री के रुप में बैठे थे, उन्हें अवैध रूप से और अनावश्यक रूप से हिरासत में लिया गया। जिसके बाद उन्हें अंतरिम जमानत मिलने तक अपमानजक तरीके से चार रातें जेल में बितानी पड़ी।
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