Times Now Amazing Indians Awards 2023: मकरंद अनासपुरे को मिला सैनिटेशन एंड वाटर के लिए अमेजिंग इंडियंस अवार्ड्स 2023

Times Now Amazing Indians Awards 2023: महाराष्ट्र जैसे राज्य में जहां किसान पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। खेती में निराशा हाथ लगने के बाद सुसाइड कर लेते हैं, वहां मकरंद अनासपुरे अपनी संस्था के जरिए इनकी जिंदगी में रोशनी ला रहे हैं।

टाइम्स नाउ अमेजिंग इंडियंस अवार्ड्स 2023 से सम्मानित हुए मकरंद अनासपुरे

Times Now Amazing Indians Awards 2023: पानी और स्वच्छता पर काम करने लिए नाम संस्था के मकरंद अनासपुरे को टाइम्स नाउ अमेजिंग इंडियंस अवार्ड्स 2023 से नवाजा गया है। नाम संस्था के जरिए अनासपुरे ने कई परिवारों की जिंदगी में रोशनी लाने का काम किया है, साथ ही पर्यावरण को बचाने में भी अतुलनीय योगदान दिया है।

ऐसे शुरू हुई यात्रा

महाराष्ट्र जैसे राज्य में जहां किसान पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। खेती में निराशा हाथ लगने के बाद सुसाइड कर लेते हैं, वहां मकरंद अनासपुरे अपनी संस्था के जरिए इनकी जिंदगी में रोशनी ला रहे हैं। अनासपुर ने नाना पाटेकर के साथ इस यात्रा की शुरुआत ग्रामीण क्षेत्रों में सुसाइड फैमिली के सहयोग करने से हुई। प्रारंभ में, नांदेड़, परभणी, हिंगोली जिलों के गांवों के लगभग 230 परिवारों को मदद की गई। सहायता पैकेज में 15,000 रुपये का चेक, कंबल, कपड़े और मेडिकल किट शामिल थे। हालांकि, कुछ चुनिंदा परिवारों की मदद करने के बजाय और इस सामाजिक कार्य का दायरा मौद्रिक मुआवजे से परे बढ़ाने के लिए मकरंद अनासपुरे ने इन सभी गतिविधियों को करने के लिए एक फाउंडेशन स्थापित करने का निर्णय लिया। उन्होंने सितंबर 2015 में पुणे में नाम फाउंडेशन पंजीकृत किया।

बदली रणनीति

इसके बाद उन्होंने पानी के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया। किसान, जल और भू-जैविक विशेषज्ञता समितियों के साथ सहयोग किया। उन्होंने शोध किया और पाया कि गांव तो जल निकायों के पास स्थित हैं। हालांकि जलस्रोत या तो सूख गए हैं या उनमें गाद है, जिससे उनकी क्षमता कम हो गई है या वे पूरी तरह से अवरुद्ध हो गए हैं। इसके बाद उन्होंने इसे जीवीत करने का कार्य शुरू किया, जिसमें आवश्यक मशीनरी प्रदान करना, ग्रामीणों को शामिल करके जागरूकता पैदा करना और एक स्थायी समाधान सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना और उनका मार्गदर्शन करना शामिल था। अब तक वे भारत के लगभग 150 गांवों में काम कर चुके हैं।

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