Amazing Indians Awards 2023: मामून अख्तर ने स्लम बस्ती की बदल दी पहचान,घट गया अपराध

Times Now Amazing Indians Awards 2023: मामून अख्तर सातवीं कक्षा की स्कूल ड्रॉपआउट है। उन्होंने टिकियापारा स्लम के वंचित समुदायों को गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अगस्त 2001 को एक सामाजिक उद्यमी के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने 300 वर्ग फुट के कमरे में केवल 6 बच्चों के साथ एक छोटा से स्कूल से सफर शुरू किया।

Amazing Indians Awards 2023: मामून अख्तर ने स्लम बस्ती की बदल दी पहचान,घट गया अपराध

Times Now Amazing Indians Awards 2023: शिक्षा के जरिए कैसे अपराध में कमाई ला जा सकती है, घरेलू हिंसा के मामले कम हो सकते हैं और युवा नई राह पकड़ सकता है, इसकी बेहतरीन मिसाल स्कूल ड्रॉप आउट मामून अख्तर हैं। जिन्होंने हावड़ा के मलिन बस्तियों में ऐसा करिश्मा कर दिया कि आज उसकी हर कोई मिसाल दे रहा है। उनके इसी काम के लिए इस बार शिक्षा के क्षेत्र का टाइम्स नाउ अमेजिंग इंडियंस अवॉर्ड 2023 मामून अख्तर को दिया गया है।

कौन हैं मामून अख्तर

मामून अख्तर सातवीं कक्षा के स्कूल ड्रॉपआउट है। उन्होंने टिकियापारा स्लम के वंचित समुदायों को गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अगस्त 2001 को एक सामाजिक उद्यमी के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने 300 वर्ग फुट के कमरे में केवल 6 बच्चों के साथ एक छोटा से स्कूल से सफर शुरू किया। आज इलाके में युवाओं के लिए कम लागत वाला अस्पताल, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र और हर साल 1000 महिलाओं के लिए आजीविका के अवसर बने हैं। इसके अलावा मामून ने गरीब बच्चों के लिए एक खेल अकादमी भी स्थापित की है। अब उनका लक्ष्य 2032 तक समुदाय के भीतर 100 फीसदी साक्षरता लाना है। अख्तर ने बाद में 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी की।

क्या उठाए कदम

टिकियापारा की आबादी लगभग 3.5 लाख है, जिसमें 80 फीसदी हाशिए पर रहने वाले मुस्लिम लोग हैं। यह पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले की सबसे बड़ी शहरी मलिन बस्तियों में से एक है। अधिकांश निवासी दिहाड़ी मजदूर, कचरा बीनने वाले, फेरीवाले, रिक्शा या वैन चालक और जेल पीड़ित लोग हैं।मामून ने शिक्षा के माध्यम से स्लम के लोगों के विकास के लिए साल 2001 में सेमेरिटन हेल्प मिशन खड़ा किया। उन्होंने सेमेरिटन मिशन स्कूल (हाई) की स्थापना की, जिसने टिकियापारा और उसके आसपास एक शैक्षिक आंदोलन खड़ा किया है।

झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों के लिए डिजिटल वातावरण में कम लागत और उच्च गुणवत्ता वाली अंग्रेजी शिक्षा और स्मार्ट कक्षाओं तक पहुंच बनाई है। इसके अलावा टिकियापारा और बांकरा मलिन बस्तियों में वंचित बच्चों के लिए तीन अन्य अंग्रेजी माध्यम स्कूल भी स्थापित किए हैं।मैमून ने 12 वीं पास लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में अवसर बने, इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए रेबेका बेलिलियस इंस्टीट्यूट ऑफ कॉम्पिटिटिव स्टडीज की स्थापना की है। मामून ने छात्रों और अन्य युवाओं के बीच खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए रेबेका बेलिलियस स्पोर्ट्स अकादमी की स्थापना भी की है।

क्या हुआ असर

इन कोशिशों से किशोर अपराध दर में कम आई है। इसके अलावा बच्चे अब केवल धार्मिक शिक्षा हासिल करने के बजाय स्कूल में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करने पर भी फोकस कर रहे हैं। प्रौढ़ शिक्षा से महिलाएं भी साक्षर हो रही हैं। साथ ही हावड़ा पुलिस, सामाजिक संगठनों, सरकार के सहयोग धीरे-धीरे बस्ती में अपराध दर में कमी आई है। इसके अलावा घरेलू हिंसा में कमी आई है औरल माता-पिता के साथ नियमित बातचीत होने से महिलाओं के खिलाफ हिंसा में भी कमी आई है।

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