Times Now Summit 2024: परिवारवाद पर खुलकर बोले राजनाथ, सुनाया वो किस्सा जब बेटे पंकज को टिकट देने से कर दिया था इनकार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टाइम्स नाउ समिट में परिवारवाद पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने वह किस्सा सुनाया जब अपने ही बेटे को टिकट देने से इनकार कर दिया था।

Rajnath Singh at Times summit

राजनाथ सिंह

Times Now Summit 2024: टाइम्स नाउ समिट के मंच पर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परिवारवाद पर खुलकर अपनी बात रखी। टाइम्स नाउ और टाइम्स नाउ नवभारत की ग्रुप एडिटर इन चीफ नाविका कुमार ने उनसे पूछा कि हाल में ये बात सामने आई कि आपने अध्यक्ष रहते हुए अपने बेटे पंकज सिंह का टिकट काटा था। तब आपने अपनी पत्नी का सामने कैसे किया, बेटे को कैसे फेस किया था। मन में क्या भाव आए, क्या कोई दुविधा वाली स्थिति थी। इन सवालों पर राजनाथ ने उस दौर को याद करते हुए साफगोई से बताया कि कैसे उन्होंने अपने बेटे को टिकट देने से इनकार कर दिया था।

राजनाथ ने सुनाया किस्सा

राजनाथ ने कहा, देखिए पुत्र तो पुत्र ही होता है। सबकी अपने पुत्र के प्रति ममता होती है, मेरी भी अपने पुत्रों के लिए ममता है। 2007 में मैं पार्टी का अध्यक्ष था। पार्टी इलेक्शन समिति की बैठक थी। अटल जी और आडवाणी जी बैठे थे, कल्याण सिंह जी, कलराज मिश्र जी भी थे। इन्होंने बड़े बेटे पंकज सिंह का नाम वाराणसी से चुनाव लड़ने के लिए रखा था। लेकिन मैंने कहा कि इस पर मैं अपनी सहमति नहीं दे सकता। इस पर अटल जी ने अपने अंदाज में कहा, हमारा डिसेंट नोट कर लिया जाए, तब तक आडवाणी जी ने भी बोल दिया कि टिकट दे दिया जाना चाहिए। सभी ने पंकज का नाम घोषित कर दिया।

बेटे को नहीं दिया आशीर्वाद

फिर जब मैं घर गया तो दुखी, जब पंकज पैर छूने आए तो मैंने आशीर्वाद नहीं दिया। घर में आए तो उन्होंने अपनी मां से कहा। पत्नी ने पूछा कि क्यों नहीं आशीर्वाद दिया। तो मैंने कहा कि मैं पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए अपने पेन से अपने बेटे को सिंबल नहीं दे सकता हूं। तो फिर पंकज ने भी बहुत संयम का परिचय दिया। वो फिर मेरे पास आए, पैर छुए और कहा, पापा आप चाहेंगे तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैंने कहा, बेटा जाओ, अटल जी से क्षमा मांगो उनके पैर छुओ, उनका आशीर्वाद लो। कहो कि हमारे पापा नहीं चाहते इसलिए मैं चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा। वह अटल जी के पास गए। अटल जी की जो स्टाइल थी, वे बोले- अरे छोड़ो तुम्हारे पापा। फिर अटलजी बोले, चलो जाओ, पिता कहते हैं तो बात माननी चाहिए।

अमित शाह के समय मिला टिकट

फिर बात आई-गई हो गई, टिकट नहीं मिला। फिर बाद में जब अमित शाह जी पार्टी अध्यक्ष थे तो उस समय टिकट दिया था। इस सवाल पर कि आज वह विधायक हैं, लेकिन लोकसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा तो होगी, इस पर राजनाथ ने कहा- होगी, किसी में भी हो सकती है, लेकिन आज तक उन्होंने मेरे सामने ये बात नहीं कही। जो राजनीति में रहता है उसमें इच्छा रहती ही है। इस सवाल पर कि जब परिवारवाद का कटाक्ष किया जाता है तो आपने मन में क्या विचार उठता है। राजनाथ ने कहा, मुझ पर कोई असर नहीं होता है। जो अपराध बोध से ग्रसित होता है, उसे तकलीफ होती है, मुझे नहीं होती। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कोई आंख से आंख मिलाकर बात नहीं कर सकता है, कोई गड़बड़ नहीं की है।

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