India के संविधान के लिए 'एलियन' है Collegium System- Times Now Summit में बोले Kiren Rijiju
Times Now Summit 2022: पत्रकार ने उसने यह भी पूछा था कि देश में ऐसे मिलियन (लाखों में) केस हैं, जो निचली, ट्रायल और यहां तक कि हाईकोर्ट में अटके हैं...ऐसे मामलों का पेडिंग रहना अस्वीकार्य है? अरुणाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले रिजिजू का जवाब आया- हां...कोर्ट में केसों की लटके होने की बात सही है। सुप्रीम कोर्ट में करीब 70 हजार, हाईकोर्ट्स में लगभग 70 लाख और निचली अदालतों में चार करोड़ 26 लाख पेडिंग केस हैं और यह चिंताजनक स्थिति है।
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू। (फाइल)
Times Now Summit 2022: कानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि कॉलेजियम व्यवस्था भारत के संविधान के लिए एलियन जैसा है। जजों के कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित नामों के लटके होने के मामले में अक्सर रिपोर्ट की जाने वाली चिंताओं पर टिप्पणी करते हुए रिजिजू ने आगे कहा कि सरकार कॉलेजियम का सम्मान करती रही है क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी न्यायपालिका का अपमान नहीं कर सकता है और अदालत के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकता है।
दरअसल, यह पूरा मामला शुक्रवार (25 नवंबर, 2022) को टाइम्स नाउस समिट का है। उनके मुताबिक, "कॉलेजियम प्रणाली भारतीय संविधान के लिए विदेशी है। पर क्योंकि सुप्रीम कोर्ट (अदालतों) ने एक कॉलेजियम बनाया है, इसलिए सरकार को कड़ी मेहनत करना होगी। परामर्श और सहमति के बीच क्या अंतर है? यह ऐसा ही है? कॉलेजियम सिस्टम को बेहतर सिस्टम से बदलने की जरूरत है। जब तक यह प्रचलित है, मुझे व्यवस्था का सम्मान करना होगा। लेकिन अगर आप उम्मीद करते हैं कि सरकार को किसी फैसले पर सिर्फ इसलिए हस्ताक्षर करना होगा, क्योंकि इसकी सिफारिश कॉलेजियम ने की है...तो सरकार की क्या भूमिका है? कोर्ट खुद कहता है कि सरकार को उचित जांच करनी होगी।
देखिए, टाइम्स नाउ समिट के दौरान और क्या कुछ बोले रिजिजू?:
पत्रकार ने उसने यह भी पूछा था कि देश में ऐसे मिलियन (लाखों में) केस हैं, जो निचली, ट्रायल और यहां तक कि हाईकोर्ट में अटके हैं...ऐसे मामलों का पेडिंग रहना अस्वीकार्य है? अरुणाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले रिजिजू का जवाब आया- हां...कोर्ट में केसों की लटके होने की बात सही है। सुप्रीम कोर्ट में करीब 70 हजार, हाईकोर्ट्स में लगभग 70 लाख और निचली अदालतों में चार करोड़ 26 लाख पेडिंग केस हैं और यह चिंताजनक स्थिति है। खासकर हम जब आम आदमी को समय रहते न्याय मुहैया करने की बात करते है...ऐसी परिस्थिति में यह बेहद मुश्किल हो जाता है।
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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