त्रिपुरा में 'X फैक्टर' बनकर उभरी टिपरा मोथा, जानें कौन हैं इसके मुखिया प्रद्योत देबबर्मा
Who is Pradyot Bikram Manikya Deb Barma : 44 साल के हो चुके प्रद्योत अभी कुंवारे हैं। साल 2007 में इन्होंने 'द नॉर्थ इस्ट टुडे' नाम से एक मैगजीन निकालनी शुरू की। इस पत्रिका के वह एडिटर इन चीफ बने। बाद में उन्होंने कहा कि पत्रिका के अंक केवल ऑनलाइन प्रकाशित किए जाएंगे। हालांकि, साल 2020 में प्रद्योत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख हैं प्रद्योत देबबर्मा।
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2021 में बनाई टिपरा मोथा पार्टीशायद ही किसी ने सोचा होगा कि साल 2019 में कांग्रेस से अलग होकर 2021 में अपनी नई पार्टी बनाने वाले प्रद्योत राज्य में एक प्रमुख सियासी ताकत बनकर उभरेंगे। इस चुनाव में टिपरा मोथा को आदिवासी समुदाय का भारी समर्थन मिला है। प्रद्योत की इस सफलता के पीछे आदिवासी समुदाय का उनके पीछे खड़ा होना एक बड़ी वजह माना जा रहा है। यहां प्रद्योत के अब तक के सियासी सफर पर एक नजर डालते हैं-
- पूर्व शाही माणिक्य परिवार के वंशज प्रद्योत की पहचान पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और कारोबारी के रूप में भी है। इनका जन्म चार जुलाई 1978 को दिल्ली में हुआ। इनकी शुरुआती शिक्षा शिलांग के सेंट एडमंड कॉलेज से हुई।
- इनके पिता किरीट बिक्रम किशोर देबबर्मन त्रिपुरा के 185वें शासक और राजनेता थे। किरीट 1967, 1977 और 1989 में सांसद चुने गए। इनकी माता बिभू कुमारी देवी भी नेता थीं, वह 1991 में सांसद चुनी गईं। प्रद्योत की दोनों बहनें कुमारी प्रज्ञा देबबर्मा एवं कृति सिंह भी राजनीति में हैं।
- 44 साल के हो चुके प्रद्योत अभी कुंवारे हैं। साल 2007 में इन्होंने 'द नॉर्थ इस्ट टुडे' नाम से एक मैगजीन निकालनी शुरू की। इस पत्रिका के वह एडिटर इन चीफ बने। बाद में उन्होंने कहा कि पत्रिका के अंक केवल ऑनलाइन प्रकाशित किए जाएंगे। हालांकि, साल 2020 में प्रद्योत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
- प्रद्योत के पास 'द हेरिटेज क्लब-त्रिपुरा कैसल' नाम से होटल है। गर्मी के मौसम में यह जगह माणिक्य वंश परंपरा के शासकों का आरामगाह हुआ करता था।
- अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए प्रद्योत कांग्रेस में शामिल हो गए। साल 2005 से 2010 तक वह युवा कांग्रेस के महासचिव रहे। साल 2015 में इन्हें त्रिपुरा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। चार साल बाद सितंबर 2019 में इन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। प्रद्योत ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि पार्टी ने त्रिपुरा कांग्रेस के उच्च पदों पर भ्रष्टाचारी नेताओं को नियुक्त करने के लिए उन पर दबाव बनाया।
- आले चलकर प्रद्योत ने सीएए के खिलाफ 'टिपरा इंडिगनस प्रोग्रेसिव रिजनल अलायंस' (TIPRA) नाम से एक सामाजिक आंदोलन का गठन किया। इस संगठन के जरिए उन्होंने सीएए को खत्म करने की मांग की। पांच फरवरी 2021 को उन्होंने TIPRA को राजनीतिक पार्टी में बदलते हुए इसे टिपरा मोथा पार्टी (
TMP ) नाम दिया। - पार्टी का गठन करने के बाद प्रद्योत ने त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनामस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (TTAADC) का चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इस चुनाव में उन्होंने आईएनपीटी के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में उन्होंने 28 में से 16 सीटों पर जीत दर्ज की।
- साल 2023 में टिपरा ने विधानसभा की 60 सीटों में से 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। हालांकि, इस चुनाव में वह खुद खड़े नहीं हुए। कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि विधानसभा चुनाव के बाद वह सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे लेकिन इन रिपोर्टों को उन्होंने खारिज कर दिया।
- सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद से प्रद्योत एक अलग ग्रेटर टिपरालैंड राज्य के गठन की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि त्रिपुरा के आदिवासी समुदाय के लिए एक अलग से राज्य बने।
- टिपरा मोथा का कहना है कि चुनाव के बाद अगर संवैधानिक गतिरोध पैदा होता है और कोई पार्टी या गठबंधन सरकार के गठन में नाकाम रहता है तो वह राज्यपाल से संपर्क कर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। बावजूद इसके कि यह जानते हुए भी कि हम संभवत: सरकार नहीं चला पाएं क्योंकि वे (दूसरे दल) हमारे खिलाफ एकजुट हो सकते हैं।
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