Tipu Sultan Sword : लंदन में टीपू सुल्तान की तलवार 140 करोड़ में नीलाम, मराठों के खिलाफ युद्ध में हुई थी इस्तेमाल
Tipu Sultan Sword : इस्लामिक के समूह प्रमुख नीमा सागरची ने कहा है कि, ये तलवार टीपू सुल्तान के महल के निजी क्वार्टर में मिली थी। तलवार का एक असाधारण इतिहास है, एक आश्चर्यजनक उद्गम और बेजोड़ शिल्प कौशल है।
टीपू सुल्तान की तलवार।
Tipu Sultan Sword : मैसूर के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान की तलवार लंदन में नीलाम हो गई है। बोनहम्स की ओर से नीलामी का आयोजन कराया गया था। जहां टीपू सुल्तान की तलवार 1.4 करोड़ पाउंड (1.74 करोड़ डॉलर या 140 करोड़ रुपये ) में बिक गई। गौरतलब है कि इसे बेचने के लिए जो राशि तय की गई थी उससे सात गुना ज्यादा रकम अदा कर इसे खरीदा गया है। बोनहम्स ने आगे कहा कि शासक के साथ प्रमाणित व्यक्तिगत जुड़ाव के साथ तलवार सबसे महत्वपूर्ण हथियार थी। टीपू सुल्तान ने 18वीं शताब्दी के अंत के युद्धों में ख्याति प्राप्त की। बता दें कि टीपू सुल्तान को "मैसूर का टाइगर" का उपनाम दिया गया था, इस तलवार के साथ उन्होंने 1779 से पहले तक मराठों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और मैसूर राज्य का बचाव किया था।
नीलामी पर क्या कहा गया
इस्लामिक के समूह प्रमुख नीमा सागरची ने कहा है कि, ये तलवार टीपू सुल्तान के महल के निजी क्वार्टर में मिली थी। तलवार का एक असाधारण इतिहास है, एक आश्चर्यजनक उद्गम और बेजोड़ शिल्प कौशल है। यही वजह है इसके लिए बोली लगाने वाले खरीदारों के बीच जमकर मुकाबला हुआ, दोनों ने बढ़-चढ़कर बोली लगाई। वहीं, इस्लामी और भारतीय कला के प्रमुख ओलिवर व्हाइट ने कहा है कि, यह शानदार तलवार टीपू सुल्तान से जुड़े सभी हथियारों में से सबसे महान है जो अभी भी निजी हाथों में है। सुल्तान के साथ इसका घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध है, काफी समय पहने इसे लूट लिया गया था। इस तलवार के निर्माण में लगी उत्कृष्ट शिल्प कौशल यह अद्वितीय है। नीलामीकर्ता बोनहम्स ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि, टीपू सुल्तान ने युद्धों में रॉकेट आर्टिलरी के प्रयोग का मुद्दा उठाते हुए मैसूर को सबसे गतिशील अर्थव्यस्था में बदल दिया था।
ब्रिटिश शासकों ने लूट ली थर तलवार
ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब टीपू सुल्तान को हराया था तब उसकी तलवार को श्रीरंगपट्टनम वाले महल से सन् 1799 में ब्रिटिश सैनिक लूट ले गए थे। इस एक मीटर लंबी तलवार पर सोने की लिखावट है। बताते हैं कि, जानते थे, टीपू ने इसी तलवार से ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध कई लड़ाईयां लड़ी थीं। इस तलवार की मुगल तलवारबाजों ने डिजाइन किया था जिसे लोग सोने की तलवार के नाम से भी जानते हैं। गौरतलब है कि, ब्रिटिश सेना के मेजर जनरल डेविड बेयर्ड को उनके साहस पर भेंट के तौर पर तलवार भेंट की गई थी।
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