ममता से लेकर पवार को तगड़ा झटकाः TMC, NCP और CPI अब नहीं राष्ट्रीय दल- EC; पर AAP का बढ़ा कद
सियासी दलों से संबंधित यह जानकारी सोमवार (10 अप्रैल, 2023) को भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसी) की ओर दी गई है। दरअसल, तीनों सियासी दलों का वोट शेयर समूचे भारतवर्ष में छह फीसदी से कम था, लिहाजा इनका नेशनल पार्टी का टैग छीन लिया गया।
टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी, एनसीपी चीफ शरद पवार और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल। (फाइल)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार को तगड़ा झटका लगा है। सोमवार (10 अप्रैल, 2023) को इनकी पार्टियों से राष्ट्रीय दल का तमगा छिन गया। भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसी) की ओर से इसे बारे में जानकारी दी गई।
ईसी की ओर से बताया गया, हमने टीएमसी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का नेशनल पार्टी का स्टेटस वापस ले लिया है, जबकि एनसीपी ने भी राष्ट्रीय दल का तमगा खो दिया है। हालांकि, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) का कद बढ़ा है और उसे नेशनल पार्टी का दर्जा दे दिया गया है।
ईसी के अनुसार, एनसीपी और टीएमसी क्रमशः नागालैंड और मेघालय में स्टेट पार्टी (क्षेत्रीय दल) के तौर पर जाने जाएंगी। नागालैंड में लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), मेघालय में वॉइस ऑफ दि पीपल पार्टी और त्रिपुरा में तिपरा मोथा पार्टियों को क्षेत्रीय पार्टियों के तौर पर मान्यता दी गई है। पीडीए (मणिपुर), पीएमके (पुदुचेरी), आरएलडी (यूपी), बीआरएस (आंध्र प्रदेश), आरएसपी (पश्चिम बंगाल) और एमपीसी (मिजोरम) का स्टेट पार्टी का दर्जा छिन गया है।
दरअसल, इन तीनों सियासी दलों (टीएमसी, एनसीपी और सीपीआई) का वोट शेयर देश में छह प्रतिशत से कम था, लिहाजा इन्होंने नेशनल पार्टी का टैग गंवा दिया। चूंकि, किसी भी पार्टी को कुछ नियमों को पूरा करना पड़ता है, जिसके बाद उन्हें नेशनल पार्टी करार दिया जाता है। ये रूल्स इस प्रकार हैं:
- दल को न्यूनतम चार सूबों में छह फीसदी वोट मिला हो
- संसद के निचले सदन लोक सभा की कुल सीटों में से दो फीसदी सीटें कम से कम तीन प्रदेशों से हासिल हुई हों
- पार्टी चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का टैग पाई हुई हो।
नेशनल पार्टी होने से क्या रहता है लाभ? समझें
- चुनाव चिह्न देश भर में सुरक्षित रखा जा सकता है
- चुनावी कैंपेन में दल ज्यादा से ज्यादा 40 स्टार प्रचारक रख सकते हैं
- स्टार प्रचारकों के यात्रा खर्च को कैंडिडेट के चुनावी खर्च में नहीं रखा जाता
- ऐसे दलों को दिल्ली में सब्सिडी दर पर पार्टी चीफ-पार्टी ऑफिस के लिए सरकारी बंगला किराए पर मिलता है
- राष्ट्रीय दलों को सरकारी चैनलों पर (आकाशवाणी पर प्रसारण के लिए ब्रॉडकास्ट और टेलीकास्ट ब्रैंड्स मिलते हैं) दिखाए जाने का समय तय रहता है।
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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