त्रिपुरा चुनाव: क्या टिपरा मोथा पार्टी बिगाड़ेगी भाजपा का खेल, जानिए चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी बातें

भाजपा ने 2018 में माणिक सरकार के नेतृत्व वाली लेफ्ट सरकार का 30 साल का शासन खत्म किया था। भाजपा ने यहां जीत हासिल कर हर किसी को चौंकाया था।

Tripura Elections 2023

त्रिपुरा चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। मुकाबला सत्तारुढ़ भाजपा और कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के बीच है। मुकबला इस मायने में दिलचस्प है कि भाजपा के खिलाफ यहां पहली बार धुर-विरोधी कांग्रेस-लेफ्ट ने गठजोड़ किया है। भाजपा ने 2018 में माणिक सरकार के नेतृत्व वाली लेफ्ट सरकार का करीब 30 साल का शासन खत्म किया था। भाजपा ने यहां जीत हासिल कर हर किसी को चौंकाया था। अब उसके सामने सत्ता बरकरार रखने की चुनौती है। सियासी घमासान के बीच आइए जानते हैं त्रिपुरा चुनाव से जुड़ी 10 अहम बातें।

  • सीपीएम का 30 साल से भी ज्यादा समय तक त्रिपुरा की सत्ता पर कब्जा रहा। लेकिन भाजपा ने 2018 में नया इतिहास रचते हुए चुनाव में जबरदस्त जीत दर्ज की। चुनाव में भाजपा को 36 सीटें मिली थीं। भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सीपीएम के माणिक सरकार को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
  • भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में इंडिजिनस प्रोग्रेसिव फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ गठबंधन किया था। आईपीएफटी को चुनाव में आठ सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा ने उसे 5 सीटें दी हैं जबकि एक सीट पर दोस्ताना मुकाबला है।
  • इस विधानसभा चुनाव में घोर विरोधी रहे सीपीएम और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ है। सीपीएम 47 सीटों, जबकि कांग्रेस सिर्फ 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
  • तीन दशक से ज्यादा समय तक त्रिपुरा की सत्ता में रही सीपीएम को 2018 चुनाव में सिर्फ 16 सीटें मिली थीं। मुख्य विपक्षी पार्टी रही कांग्रेस की बुरी गत बनी। 2018 में वह अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। इस बार सीपीएम-कांग्रेस ने एक साथ मिलकर भाजपा से मुकाबले की रणनीति बनाई है।
  • मैदान में पहली बार उतरी टिपरा मोथा पार्टी भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकती है। त्रिपुरा के शाही परिवार के प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा की नई पार्टी टिपरा मोथा भी पहली बार चुनावी मैदान में है। माणिक्य देब बर्मा 'ग्रेटर टिपरालैंड' की मांग करते रहे हैं। चुनाव में पार्टी का यही सबसे बड़ा मुद्दा भी है। टिपरा मोथा के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
  • मैदान पर ममता बनर्जी की टीएमसी भी ताल ठोक रही है। ममता और दूसरे टीएमसी नेताओं ने यहां जमकर प्रचार भी किया है। ममता के निशाने पर मुख्य रूप से भाजपा ही रही है। प. बंगाल की तर्ज पर टीएमसी यहां भी भाजपा को दुश्मन नंबर एक मानकर चल रही है।
  • भाजपा ने यहां पहली बार दो मुस्लिम उम्मीदवार भी उतारे हैं। बॉक्सनगर से तफ्फजल होसैन को टिकट दिया गया है, वहीं, कैलाशहर से मोहम्मद मोबेशर अली को उम्मीदवार बनाया गया है।
  • भाजपा ने 2022 में बिप्लब देब को हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी। देब को राज्यसभा से चुनकर दिल्ली भेजा गया। लेकिन ये दांव कितना कारगर बैठता है, इसका पता चुनाव नतीजों के बाद ही लगेगा।
  • इस बार भाजपा के सामने दो तरफ से घेराबंदी है। पिछली बार भाजपा ने अकेले दम पर बहुमत तो हासिल कर लिया था लेकिन उसके और सीपीएम के बीच वोटों के शेयर में महज सवा फीसदी का ही अंतर था।
  • त्रिपुरा में 60 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव आयोग ने 18 जनवरी को तारीखों का ऐलान किया था। 2 मार्च को मतगणना होगी। त्रिपुरा विधानसभा का कार्यकाल 22 मार्च को पूरा हो रहा है।
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