बांग्लादेश की जेलों में 37 साल रहा कैद, कैसे घर लौटा त्रिपुरा का ये शख्स; बयां की आपबीती

World News: बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद घर लौटा त्रिपुरा का रहने वाला शाहजहां नाम का एक व्यक्ति अपने घर लौट आया है। शाहजहां उर्फ ​​बिलास 1988 में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए सीमा पार कर बांग्लादेश चला गया था। जिसके बाद वो गिरफ्तार हो गया और उसे जेल में डाल दिया गया।

Tripura Man Returns Home from Bangladesh Jail

बांग्लादेश की जेलों में 37 साल गुजारने के बाद घर लौटा त्रिपुरा का रहने वाला व्यक्ति।

Agartala: त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले का रहने वाला एक व्यक्ति बरसों पहले अपने रिश्तेदार से मिलने बांग्लादेश गया था और तब उसे रत्तीभर अंदाजा नहीं था कि यह यात्रा उसकी जिंदगी का दंश बन जाएगी एवं वह भारत में अपने परिवार के पास लौटने के लिए तरस जाएगा। शाहजहां (62) बांग्लादेश की जेलों में 37 साल बिताने के बाद अब घर लौटे हैं।

अवैध घुसपैठ के मामले में किया गया था गिरफ्तार

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कर्मियों की मदद से श्रीमंतपुर ‘लैंड कस्टम्स’ स्टेशन के रास्ते शाहजहां भारत लौट आया। अधिकारियों ने बताया कि सोनमुरा उपमंडल के सीमावर्ती रबींद्रनगर गांव के निवासी शाहजहां 1988 में बांग्लादेश के कोमिला में अपने ससुराल गये थे। उनके अनुसार उस दौरान वहां पुलिस ने उनके रिश्तेदार के घर पर छापा मारा एवं पड़ोसी देश में गैरकानूनी रूप से प्रवेश करने को लेकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

कैसे गुजरी जिंदगी, शाहजहां ने बयां की आपबीती

शाहजहां ने पत्रकारों को बताया, '25 साल की उम्र में, मुझे कोमिला में एक अदालत ने 11 साल की जेल की सजा सुनायी। सजा पूरी करने के बाद भी मुझे रिहा नहीं किया गया तथा मैंने हिरासत में 26 और साल बिताए, घर लौटने की अनुमति दिए जाने से पहले कुल मिलाकर मैंने 37 साल जेल में बिताए।' शाहजहां के साथ जो अन्याय हुआ, वह कुछ महीने पहले मीडिया के माध्यम से सामने आया।

किसकी मदद से भारत वापस आया शाहजहां?

शाहजहां के परिवार का कहना है कि उनकी दुर्दशा पर जारा फाउंडेशन की नजर पड़ी जो विदेशों में फंसे शरणार्थियों की मदद करता है। परिवार ने बताया कि जारा फाउंडेशन के अध्यक्ष मौशाहिद अली ने शाहजहां की रिहाई के लिए तत्काल कदम उठाए और फिर कई कानूनी प्रक्रियाओं के बाद शाहजहां को मंगलवार को श्रीमंतपुर स्टेशन पर बीएसएफ कर्मियों को सौंप दिया गया। अब 62 वर्ष की आयु के शाहजहां उस वक्त घर से निकले थे जब वह युवा थे और उनकी पत्नी गर्भवती थी। भारत लौटने पर उनके बेटे ने पहली बार उन्हें अपने सामने देखा है।

'झूठे आरोपों में दूसरी जेलों में भेज दिया गया'

शाहजहां ने कहा, 'मैं शब्दों में अपनी खुश बयां नहीं कर सकता। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं जन्नत में हूं। यह मेरे लिए पुनर्जन्म की तरह है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस जीवन में अपने जन्मस्थान पर लौट सकूंगा। यह जारा फाउंडेशन ही है जो मुझे घर वापस लेकर आया। मैं पूरी जिंदगी इस संगठन का आभारी रहूंगा।'
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में शुरुआत के 14 दिनों में उन्होंने क्रूर अत्याचार सहा। शाहजहां ने याद किया, 'कोमिला केंद्रीय कारागार में 11 साल बिताने के बाद, मुझे झूठे आरोपों में दूसरी जेलों में भेज दिया गया तथा मैंने वहां और 26 साल बिताए।'
(इनपुट- भाषा)
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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