1980 Moradabad Riots: 43 साल बाद सदन में पेश की गयी मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट, मारे गए थे 84 लोग
1980 Moradabad Riots Report:उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद में साल 1980 में हुए दंगे के 43 साल बाद योगी सरकार ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है।
1980 में हुए दंगे के 43 साल बाद योगी सरकार ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के मुरादाबाद जिले में वर्ष 1980 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच रिपोर्ट को मंगलवार को विधानसभा के पटल पर रखा।संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने इस रिपोर्ट को सदन में पेश किया। उन्होंने कहा कि 13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद में हुए दंगों की जांच रिपोर्ट को विलंब के कारणों सहित सदन के पटल पर रखा जा रहा है।करीब 43 साल बाद सदन में यह रिपोर्ट पेश किये जाने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
रिपोर्ट के विवरण के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है।गौरतलब है कि 13 अगस्त 1980 को राज्य में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मुरादाबाद ईदगाह में ईद की नमाज के दौरान उठे विवाद ने साम्प्रदायिक दंगों का रूप ले लिया था। फसाद की घटनाओं में कुल 83 लोगों की मौत हो गयी थी तथा 100 से ज्यादा अन्य जख्मी हुए थे।
न्यायाधीश एमपी सक्सेना का एक सदस्यीय आयोग नियुक्त किया गया था
घटना की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एमपी सक्सेना का एक सदस्यीय आयोग नियुक्त किया गया था। इस आयोग ने नवम्बर 1983 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। 8 अगस्त को विधानसभा में यह रिपोर्ट पेश की गई, साल 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे की रिपोर्ट इससे पहले मई माह में योगी कैबिनेट ने रिपोर्ट पेश करने को मंजूरी दी थी।
मुरादाबाद में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने से 84 लोग मारे गए थे
मुरादाबाद में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने से 84 लोग मारे गए थे और 112 लोग घायल हुए थे। इनमें से 55 लोग भगदड़ से, जबकि 29 चोटें लगने से मरे थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एमपी सक्सेना की अध्यक्षता में दंगे की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था।
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