H3N2 : कोरोना के बाद अब H3N2 इन्फ्लुएंजा का प्रकोप, देश में 2 लोगों की गई जान, हो जाएं सावधान
H3N2 Deaths : कोरोना महामारी के बाद देश में अब H3N2 का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। एच3एन2 इन्फ्लुएंजा का वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है और यह जानलेवा भी साबित होने लगा है। इसकी चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो चुकी है।
देश में एच3 एन2 इन्फ्लुएंजा का प्रकोप बढ़ रहा है।
बीते कुछ महीनों से देश में H3N2 के केस बढ़े
बीते कुछ महीनों से देश में इस फ्लू के मामले बढ़े हैं। ज्यादातर लोग एच3एन2 वायरस से संक्रमित हुए हैं। इसे 'हांगकांग फ्लू' के नाम से भी जाना जाता है। इस वायरस से संक्रमित होने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। कर्नाटक में अभी तक इस वायरस के 50 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। दुनिया भर में फ्लू के कई सब वैरिएंट मिले है जो लोगों को संक्रमित कर रहे हैं। हालांकि, भारत में केवल एच3एन2 और एच1एन1 के ही मामले मिले हैं।
संक्रमण के लक्षण कोविड की तरह हैं
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एच3एन2 और एच1एन1 संक्रमण के लक्षण कोविड की तरह हैं। इनसे संक्रमित लोगों में कफ, बुखार, सर्दी, सांस लेने में दिक्कत और गले में खरास होने के लक्षण पाए जा रहे हैं। तेजी से हो रहा वायरस का प्रसार सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है। वायरस से पीड़ित लोगों ने मितली, शरीर में दर्द और डायरिया की भी शिकायत की है। सेहत के जानकारों का कहना है कि ये लक्षण व्यक्ति में करीब एक सप्ताह तक देखे जा रहे हैं।
कोविड जैसे प्रोटोकॉल अपनाएंस्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस काफी संक्रामक है और यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, उसके खांसने और छींकने से फैलता है। डॉक्टरों का कहना है कि कोविड जैसे प्रोटोकॉल को अपनाते हुए इस वायरस के संक्रमण में आने से बचा जा सकता है। डॉक्टरों ने लोगों से नियमित रूप से हाथ धोने और मास्क पहनने की सलाह दी है। भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान परिषद (ICMR) ने खांसते एवं छींकते समय अपना मुंह ढंकने की अपील की है।
बुजुर्गों-बच्चों को ज्यादा खतराआईसीएमआर का कहना है कि वायरस से पीड़ित लोगों को ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ लेना चाहिए। इसके अलावा आंख और नाक को छूने से बचना चाहिए। बुखार और शरीर में दर्द होने पर पैरासीटामाल दवा ली जा सकती है। इन्फ्लुएंजा का संक्रमण, गंभीर बीमारी वाले लोगों, छोटे बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक हो सकता है। भारतीय चिकित्सा संघ ने हाल ही में डॉक्टरों से कहा है कि जब तक कि इस बात की पुष्टि न हो जाए कि व्यक्ति वैक्टीरिया से पीड़ित है तब तक वे मरीज को एंटीबॉयोटिक दवाएं न दें।
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