Pune Porsche Car Accident: पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट केस में दो पुलिसकर्मी सस्पेंड, समय से नहीं दी थी घटना की जानकारी
Pune Porsche Car Accident: पुणे के चर्चित पोर्श कार एक्सीडेंट कांड में बड़ा एक्शन हुआ है। इस मामले में पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आने पर दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। 19 मई को हुई इस घटना के बारे में सीनियर्स को समय से सूचित नहीं करने के लिए पुलिस निरीक्षक राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी को पुणे पुलिस आयुक्त ने निलंबित कर दिया है।
पुणे कार हादसा
Pune Porsche Car Accident: पुणे पोर्श कार हादसे में बड़ा एक्शन हुआ है। इस पूरे मामले में प्रथम दृष्टया पुलिस कर्मियों की लापरवाही का मामला सामने आया है। इसके बाद पुणे पुलिस कमिश्नर ने दो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, पुणे आयुक्त ने येरवड़ा पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी को निलंबित किया है। दोनों ने 19 मई को हुई घटना के बारे में सीनियर्स को समय से सूचना नहीं दी थी। बता दें, 19 मई को हुई इस घटना में लग्जरी पोर्श कार सवार नाबालिग ने दो लोगों को कुचल दिया था, जिसमें दोनों की मौत हो गई थी।
बता दें कि पोर्श कार से दो लोगों को कुचलने की घटना के बाद येरवडा पुलिस स्टेशन के दो पुलिस ऑफिसर घटनास्थल पर पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने इस घटना के बारे में कंट्रोल रूम को सूचना ही नहीं दी। इस दौरान जोन-1 के डीसीपी भी राउंड पर थे, लेकिन उन्हें घटना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी, क्योंकि इन दोनों पुलिस अधिकारियों ने कंट्रोल रूम को कार एक्सीडेंट की सूचना नहीं दी थी।
नाबालिग के पिता समेत छह न्यायिक हिरासत में
वहीं, पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को पोर्श दुर्घटना मामले में 17 वर्षीय आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल समेत छह लोगों को सात जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अभियोजन पक्ष ने आगे की जांच के लिए उनकी पुलिस हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया था। हालांकि, अदालत ने अग्रवाल और शराब परोसने वाले दो प्रतिष्ठानों के मालिक और कर्मचारियों समेत अन्य को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। किशोर ने अपनी पोर्श कार से मोटरसाइकिल पर सवार दो सॉफ्टवेयर पेशेवरों को कुचलने से पहले इन जगहों पर कथित तौर पर शराब पी थी।
नाबालिग को बचाने की साफ-साफ हुई थी कोशिश
इससे पहले दिन में, पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा था कि ऐसा दिखाने की कोशिश की गई कि 19 मई को दुर्घटना के समय नाबालिग कार नहीं चला रहा था और कोई वयस्क व्यक्ति कार चला रहा था। अग्रवाल और अन्य पांच आरोपियों को उनकी पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.पी. पोंक्षे के समक्ष पेश किया गया। अन्य आरोपियों में कोसी रेस्तरां के मालिक नमन भुटाडा और इसके प्रबंधक सचिन काटकर तथा ब्लैक क्लब के प्रबंधक संदीप संगाले और इसके कर्मचारी जयेश गावकर और नीतेश शेवानी शामिल हैं। रियल एस्टेट डेवलपर अग्रवाल को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 77 के तहत गिरफ्तार किया गया था, जबकि अन्य पर एक कम उम्र के व्यक्ति को शराब परोसने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
वैध लाइसेंस न होने के बाद भी दी थी कार
प्राथमिकी के मुताबिक, यह जानने के बावजूद कि उनके बेटे के पास वाहन चलाने के लिए वैध लाइसेंस नहीं है, अग्रवाल (50) ने उसे कार दे दी और जब अग्रवाल को पता था कि वह शराब पीता है, तब भी बेटे को पार्टी करने की इजाजत दी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने पुलिस हिरासत बढ़ाने का अनुरोध करते हुए अदालत को बताया कि किशोर ने उस रात कोसी रेस्तरां में 47,000 रुपये का बिल चुकाया था और पुलिस उस बैंक खाते का विवरण जानना चाहती है, जिससे भुगतान किया गया था। अभियोजक ने कहा कि पोर्श कार के पंजीकरण के लिए आरटीओ शुल्क का भुगतान न करने पर अग्रवाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) को जोड़ा गया है। अग्रवाल के वकील प्रशांत पाटिल और अन्य आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील एस.के. जैन ने दलील दी कि पुलिस हिरासत की कोई जरूरत नहीं है। दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने सभी छह आरोपियों को सात जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
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