2000 Rs Note Ban: विपक्षी दलों के बजने लगे गाल, किसी ने कहा घोटाला तो किसी ने कहा पहले करो फिर सोचो
2000 Rs Note Ban: 2000 के नोट के बारे में आरबीआई ने अहम फैसला किया है। काले धन पर लगाम लगाने की कवायद में अब इसे हटाने का फैसला किया गया। लेकिन विपक्षी दलों के तेवर गरम हैं, चाहे राष्ट्रीय दल हों या क्षेत्रीय दल मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर 8 नवंबर 2016 को जो नोटबंदी हुई उससे फायदा नहीं मिला क्या।
आरबीआई ने लगाया बैन, विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा
2000 Rs Note Ban: क्लीन नोट पॉलिसी के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को बैंकों से कहा कि वो ग्राहकों को अब 2000 के नोट नहीं जारी करें। इसके साथ ही यह भी कहा कि 2000 के जो नोट चलन में हैं वो कानून वैध हैं। आरबीआई की तरफ से जैसे ही इसकी जानकारी दी गई सियासत, सोशल मीडिया हर जगह सिर्फ एक ही बात कि एक बार फिर नोटबंदी। लोगों के जेहन में भी कई तरह के सवाल कि अब आगे क्या होगा। इन सबके बीच हम यहां पर राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं बताएंगे। बिहार के डिप्टी सीएम रहे सुशील कुमार मोदी ने तो इसे दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक करार दिया तो विपक्ष ने कहा कि जब यही करना था तो 2016 में 2000 रुपए के नोट को क्यों जारी किया। यहां पर हम आपको अलग अलग दलों के नेताओं की प्रतिक्रिया बताएंगे।
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नोटबंदी सबसे बड़ा घोटाला-बीआरएस
तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की आलोचना की।आरबीआई ने 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की शुक्रवार को घोषणा की। हालांकि, इस मूल्य के नोट बैंकों में जाकर 30 सितंबर तक जमा कराए जा सकेंगे या बदले जा सकेंगे।नोटबंदी को बड़ा ‘घोटाला’ करार देते हुए दासोजू ने मोदी से सवाल किया कि 2016 में नोटबंदी के दौरान दिए गए उन बयानों का क्या हुआ, जिनमें कहा गया था कि इससे ‘‘काले धन और आतंकवादियों की घुसपैठ पर लगाम’’ लगेगी।
पहले करो, फिर सोचो- कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि स्वयंभू विश्वगुरु की चिरपरिचित शैली। पहले करो, फिर सोचो। आठ नवंबर, 2016 को तुगलकी फरमान (नोटबंदी) के बाद बड़े धूमधाम से 2000 रुपये का नोट जारी किया गया था। अब इसे वापस लिया जा रहा है।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के कुछ सप्ताह बाद सरकार और आरबीआई को 500 रुपये का नोट फिर से पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा था और अगर केंद्र सरकार फिर से 1,000 रुपये का नोट भी पेश करती है तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा। उन्होंने ट्वीट किया, “2000 रुपये का नोट शायद ही लेनदेन का एक लोकप्रिय माध्यम है। हमने नवंबर 2016 में यह कहा था और हम सही साबित हुए हैं। 2,000 रुपये का नोट लेनदेन में लोकप्रिय रहे 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलने से बाहर करने के मूर्खतापूर्ण निर्णय को ढंकने वाला ‘बैंड एड’ था।”
कुछ लोगों को गलती देर से समझ में आती-सपा
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कुछ लोगों को अपनी गलती देर से समझ आती है… 2000 रुपये के नोट के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। लेकिन इसकी सज़ा इस देश की जनता और अर्थव्यवस्था ने भुगती है।” इसी ट्वीट में यादव ने कहा है, “शासन मनमानी से नहीं, समझदारी और ईमानदारी से चलता है।”
इसलिए पीएम होना चाहिए पढ़ा लिखा-आप
दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी 2000 के नोट का इस्तेमाल बंद करने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।उन्होंने ट्वीट किया, “पहले बोले 2000 का नोट लाने से भ्रष्टाचार बंद होगा। अब बोल रहे हैं 2000 का नोट बंद करने से भ्रष्टाचार ख़त्म होगा। इसीलिए हम कहते हैं, प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा होना चाहिए। एक अनपढ़ पीएम को कोई कुछ भी बोल जाता है। उसे समझ आता नहीं है। भुगतना जनता को पड़ता है।
2016 के उलट है फैसला-सीपीएम
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह “2016 में हुई नोटबंदी के फैसले के उलट है। प्रधानमंत्री मोदी ने तब बड़े जोर-शोर से कहा था कि विमुद्रीकरण (नोटबंदी) से कालाधन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद को वित्तपोषण जैसी समस्याएं खत्म हो जाएंगी और इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।”
येचुरी ने कहा कि यह कदम इन सभी मोर्चों पर एक निराशाजनक विफलता है।उन्होंने ट्वीट किया, “मोदी द्वारा हमारी अर्थव्यवस्था को बर्बाद किए जाने और राष्ट्रीय संपत्ति को लूटने का विरोध किया जाना चाहिए।
मोदी का मास्टर स्ट्रोक तो नहीं-टीएमसी
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने एक ट्वीट में कहा, “भाजपा ने 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर हर जगह भारतीयों के जीवन को प्रभावित किया! उसने दावा किया था कि 2,000 रुपये का नोट शुरू होने से काला धन के प्रवाह पर रोक लगेगी। सात साल बाद, वे उस फैसले को वापस ले रहे हैं। यह भी मोदी का कोई मास्टर स्ट्रोक तो नहीं है।
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