नीतीश सरकार: 2 महीने में राजद से 2 इस्तीफे, सवर्ण-त्याग और अहम का चल रहा है खेला !

पहली बार विधायक बने सुधाकर सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। और जगदानंद सिंह की लालू प्रसाद यादव से करीबी जगजाहिर है। इसे देखते हुए भाजपा नेता सुशील मोदी ने बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि नीतीश कुमार जगदानंद सिंह के बीच मूंछ की लड़ाई है।

Nitish Kumar And Tejaswi government 2 ministers resigned

नीतीश-तेजस्वी के लिए नई चुनौती

मुख्य बातें
  • राजद के साथ नीतीश कुमार ने दो महीने पहले सरकार बनाई है।
  • सुधाकर सिंह ने कृषि मंत्री रहते हुए बयान दिया कि वह चोरों के सरदार हैं।
  • सबसे पहले कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था।
Nitish Kumar and Sudhakar Singh Resignation: नीतीश कुमार के एक और मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। खुद को चोरों का सरदार कह सुर्खियों में आए सुधारकर सिंह के पास कृषि मंत्रालया का जिम्मा था। राष्ट्रीय जनता दल के साथ अगस्त में सरकार बनाने के बाद महज 2 महीने में नीतीश मंत्रिमंडल से यह दूसरा इस्तीफा है। इसके पहले कानून मंत्री बनाए गए कार्तिकेय सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। महज 2 महीने पुरानी सरकार से मंत्रियों का इस्तीफा कोई आम बात नहीं है। इसलिए राजद कोटे से बने मंत्रियों के लगातार इस्तीफे से सवाल उठ लगे हैं कि क्या राजद में सब-कुछ ठीक है या फिर नीतीश नए साथी राजद के मंत्रियों के साथ सहज नहीं है।
कौन हैं सुधाकर सिंह
पहली बार विधायक बने सुधाकर सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। और जगदानंद सिंह की लालू प्रसाद यादव से करीबी जगजाहिर है। और यही कारण है कि पार्टी ने उन्हें दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। ऐसे में सुधाकर सिंह का पहली बार जीतने के बाद मंत्री बनना और कृषि मंत्री के रूप में जिम्मेदारी मिलने के पीछे की वजह साफ है। सूत्रों के अनुसार सुधाकर सिंह ने तेजस्वी यादव के एक टेलीफोन कॉल के बाद यह कदम उठाया। यादव ने सुधाकर सिंह के व्यवहार पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी जिसके बाद उन्होंने अपना त्याग पत्र भेजा। ऐसे भी बात सामने आ रही है कि सुधाकर सिंह इस्तीफा देने के लिए पटना नहीं आए। बल्कि एक निजी स्टाफ के जरिए उन्होंने इस्तीफा भेज दिया। जाहिर है सुधाकर सिंह ने दबाव में इस्तीफा दिया है और वह अपनी नाराजगी छुपा भी नहीं रहे हैं।
राजद कोटे के दोनों सवर्ण मंत्रियों का इस्तीफा
सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद राजद कोटे से सवर्ण जाति के दोनों मंत्रियों का इस्तीफा हो गया है। सुधाकर सिंह की तरह कार्तिकेय सिंह भी सवर्ण बिरादरी से आते हैं। ऐसे में दोनों के इस्तीफे ने तेजस्वी यादव के लिए भी चुनौती नई चुनौती खड़ी कर दी है। पहली तो यह कि नई सरकार बनने के बाद नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले दोनों मंत्री राजद के हैं। दूसरी चुनौती यह है कि तेजस्वी यादव पार्टी की छवि बदलने की जो कवायद कर रहे हैं, उसे अब उन्हें नए सिरे से मैनेज करना होगा। क्योंकि अगर वह सवर्ण मंत्रियों को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करवाते हैं, तो भाजपा को उन पर हमला करने का मौका मिल जाएगा।
क्या सुशासन बाबू हो गए असहज
असल में जिस तरह सुधाकर सिंह ने अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार की, उससे नीतीश सरकार को काफी फीजहत झेलनी पड़ी थी। क्योंकि नीतीश कुमार भले ही पिछले 17 साल से पाला बदल-बदल कर सीएम बने रहे हैं, लेकिन इस दौरान उनकी सुशासन बाबू की छवि पर सीधे हमला नहीं हुआ है। और सुधाकर सिंह का बयान सीधे उस छवि को धक्का लगा रहा था।
सुधाकर सिंह ने मंत्री बनने के बाद कृषि विभाग में भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा था कि हमें नहीं लगता कि बिहार राज्य बीज निगम से मिले बीज किसान अपने खेतों में लगाते हैं। बीज निगम वाले 150-200 करोड़ रुपये इधर ही खा जाते हैं । हमारे विभाग में कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जो चोरी नहीं करता है। इस तरह हम चोरों के सरदार हुए। हम सरदार ही कहलाएंगे न। जब चोरी हो रही है तो हम उसके सरदार हुए न।
इसके अलावा उन्होंने कृषि विभाग उत्पाद विपणन समिति (APMC) अधिनियम और मंडी प्रणाली को बहाल करने की बात कही थी। मोदी सरकार भी नए कृषि कानून में इस व्यवस्था के बदलाव की बात की थी। जिसके बाद किसान आंदोलन पर उतर आए थे। नीतीश कुमार के लिए परेशान करने वाली बात यह थी कि जिस मंडी प्रणाली को सुधाकर सिंह ने बहाल करने की बात कर रहे हैं, उसे खुद नीतीश कुमार ने साल 2005-06 में खत्म किया था। इसके अलावा मंत्रिमंडल की बैठक में नीतीश कुमार और सुधारक सिंह नोंक-झोंक भी सार्वजनिक हो गई थी। जिसमें सुधाकर सिंह ने इस्तीफा देने की धमकी दी थी।
क्या नीतीश और जगदानंद सिंह में है अहम की लड़ाई !
सुधाकर सिंह के इस्तीफे को भाजपा ने भुनाना शुरू कर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि दो माह के अंदर महागठबंधन सरकार के दूसरे दागी मंत्री सुधाकर सिंह का इस्तीफा तूफान के आने की आहट है।उन्होंने कहा कि दो महीने मे दो दागी मंत्रियों की विदाई के साथ राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और महत्वांकाक्षी नीतीश कुमार की फजीहत बढ़ने वाली है। मोदी ने यह भी कहा कि चारा घोटाला में लालू प्रसाद के जेल जाने और गृहिणी राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री बनने पर राजद की परिवार प्रथम के परम विश्वासी जगदानंद ने पर्दे के पीछे से सरकार चलाई थी, अब देखना यह है कि जगदानंद और नीतीश कुमार के बीच टकराव में किसे झुकना पड़ेगा।
साफ है कि मोदी इस बात का इशारा कर रहे हैं कि राजद से गठबंधन के बाद जगदानंद सिंह फिर से पर्दे के पीछे से भूमिका निभाना चाहते हैं। जो नीतीश कुमार को गंवारा नहीं होगा। और अपने बेटे सुधारकर सिंह के इस्तीफे के बाद जगदानंद सिंह का बयान भी बहुत कुछ कहता है। जगदानंद सिंह ने कहा कि सुधाकर सिंह ने किसानों की चिंताओं को अपनी आवाज दी थी, लेकिन कभी-कभी केवल प्रश्न उठाने से बात नहीं बनती, त्याग भी करना होता है, इसलिए कृषि मंत्री ने अपना इस्तीफा सरकार को भेज दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जगदानंद सिंह त्याग के बयान के बाद शांत रहते हैं, आ फिर आने वाले दिनों में देखने के लिए खेला अभी बाकी है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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