उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे विवाद पर 'सुप्रीम' फैसला आज, 7 प्वाइंट में समझिए पूरा मामला
उद्धव से बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। उसके बाद से उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच विवाद चल रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। अगर फैसला शिंदे के खिलाफ जाता है तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है।
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच साल भर से चली आ रही लड़ाई का अंत हो जाएगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट आज महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर अपना फैसला सुनाने जा रहा है। आज तय हो जाएगा कि क्या एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे या उनका विद्रोह और फ्लोर टेस्ट अवैध था। शिवसेना के ठाकरे और शिंदे दोनों धड़ों को जीत की उम्मीद है। उधर उद्धव बालासाहेब ठाकरे के सांसद संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा कि देश में लोकतंत्र जिंदा है या नहीं। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे क्योंकि फैसला शिंदे के पक्ष में होगा। शिंदे अपना इस्तीफा क्यों सौंपेंगे? किसी तरह के कयास लगाने की जरूरत नहीं है। उसने क्या गलतियाँ की थीं?
उद्धव बनाम एकनाथ शिंदे विवाद क्या है?
- शिवसेना में संकट की शुरुआत एकनाथ शिंदे द्वारा 40 विधायकों के साथ उद्धव के खिलाफ विद्रोह के ऐलान से हुआ। जून 2022 में शिंद ने विद्रोह किया था।
- विद्रोह के बाद जून 2022 बागी असम चले गए और फिर बीजेपी की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया।
- उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया और एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगाई, जिसके आदेश तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने दिए थे। 4 जुलाई को एकनाथ शिंदे ने फ्लोर टेस्ट जीता था।
- शिंदे खेमे में गए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
- चुनाव आयोग ने अपनी ओर से शिंदे गुट को बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना का मूल धनुष और तीर चिन्ह दिया। उद्धव के गुट को मशाल का चुनाव चिह्न और नया नाम शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे दिया गया है। चुनाव आयोग ने बाद में एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना की मान्यता दे दी।
- सुप्रीम कोर्ट शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाएगा। अगर फैसला उद्धव ठाकरे के पक्ष में आया तो शिंदे को इस्तीफा देना होगा।
- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोश्यारी की भूमिका पर सवाल उठाया और कहा कि एक राज्यपाल को किसी भी क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए जो सरकार के पतन का कारण बनता है।
सुप्रीम कोर्ट में उद्धव का प्रतिनिधित्व कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने किया जबकि शिंदे खेमे के वकील हरीश साल्वे, एनके कौल और महेश जेठमलानी थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी का प्रतिनिधित्व किया। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ इस मामले में फैसला सुनाएंगे। संविधान पीठ में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं। संविधान पीठ ने 16 मार्च, 2023 को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और नौ दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था।
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