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साल 2020 से 24 तक हथियार खरीदने के मामले में दूसरे स्थान पर रहा भारत, ये देश रहा नंबर 1

रिपोर्ट के मुताबिक, इसी अवधि के दौरान यूरोपीय हथियारों के आयात में कुल मिलाकर 155 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हथियारों के आयात में वृद्धि यूरोपीय देशों की यूक्रेन पर रूस के हमले और अमेरिकी विदेश नीति के भविष्य पर अनिश्चितता के मद्देनजर हुई।

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हथियार आयात में भारत दूसरे स्थान पर

Top Arms Importer in 2020-24: रूस के साथ लंबे समय से युद्ध में उलझा यूक्रेन 2020 से 24 के दौरान प्रमुख हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक रहा। साल 2015-19 के आंकड़ों की तुलना में युद्धग्रस्त देश के हथियारों के आयात में लगभग 100 फीसदी की वृद्धि हुई। एक नई वैश्विक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई। इस अवधि के दौरान भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा। इस आयात में कहीं न कहीं चीन और पाकिस्तान दोनों से खतरे को प्रदर्शित करता है। रिपोर्ट प्रकाशित करने वाले स्वतंत्र वैश्विक थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) के एक बयान के अनुसार, 2015-19 और 2020-24 के बीच भारत के आयात में 9.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

हथियार आयात में 155 प्रतिशत की वृद्धि

रिपोर्ट के मुताबिक, इसी अवधि के दौरान यूरोपीय हथियारों के आयात में कुल मिलाकर 155 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हथियारों के आयात में वृद्धि यूरोपीय देशों की यूक्रेन पर रूस के हमले और अमेरिकी विदेश नीति के भविष्य पर अनिश्चितता के मद्देनजर हुई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों के परिवहन पर सोमवार को जारी एसआईपीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने वैश्विक हथियार निर्यात में अपनी हिस्सेदारी को 43 प्रतिशत तक बढ़ा दिया जबकि रूस के निर्यात में 64 प्रतिशत की गिरावट आई। यूक्रेन-रूस युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ और इसके समाधान और क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिए कुछ देशों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।

यूक्रेन प्रमुख हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बना

एसआईपीआरआई ने बयान में बताया, 2020-24 की अवधि में यूक्रेन प्रमुख हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बन गया, जिसका आयात 2015-19 की तुलना में लगभग 100 गुना बढ़ गया। वैश्विक स्तर पर हथियारों के आयात-निर्यात की कुल मात्रा 2015-19 और 2010-14 में लगभग समान स्तर पर रही (लेकिन 2005-2009 की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक थी), क्योंकि यूरोप और अमेरिका में बढ़ते आयात की भरपाई अन्य क्षेत्रों में कमी से हुई।

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