Uttarakhand के बाद Gujarat की बारी, चुनावी माहौल के बीच Uniform Civil Code लाने की तैयारी!
Uniform Civil Code in Gujarat: वैसे, बीते कुछ सालों में यूसीसी या समान नागरिक संहिता पर सियासी और समाजिक तौर पर माहौल गर्म रहा है। देश की बहुसंख्यक आबादी इसे लागू करने की पुरजोर मांग करती आई है, जबकि अल्पसंख्यक इसका विरोध करते रहे हैं।
Uniform Civil Code in Gujarat: तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
शनिवार (29 अक्टूबर, 2022) को सीएम के हैंडल से ट्वीट कर जानकारी दी गई- आज सूबे की कैबिनेट में उच्च स्तरीय समिति बनाने के लिए अहम फैसला लिया गया। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट या फिर हाईकोर्ट के जज की चेयरमैनशिप के तहत होगी, जो इस बात को समझेगी कि क्या सूबे में यूसीसी की जरूरत है। साथ ही यह इसके लिए ड्राफ्ट भी तैयार करेगी।
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इससे पहले, सूत्रों ने हमारे हिंदी खबरिया चैनल 'टाइम्स नाउ नवभारत' को इस बारे में बताया कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में मीटिंग होगी, जिसमें राज्य में यूसीसी लागू करने से जुड़े कदम उठाने पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसे लेकर एक कमेटी का प्रस्ताव भी दिया जा सकता है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में यह कमेटी काम करेगी।
वैसे, बीते कुछ सालों में यूसीसी या समान नागरिक संहिता पर सियासी और समाजिक तौर पर माहौल गर्म रहा है। देश की बहुसंख्यक आबादी इसे लागू करने की पुरजोर मांग करती आई है, जबकि अल्पसंख्यक इसका विरोध करते रहे हैं।
संविधान के अनुच्छेद-44 में यूसीसी का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा’। यूसीसी में देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। यूसीसी में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे आदि में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है।
मौजूदा समय में देश में जो स्थिति है उसमें सभी धर्मों के लिए अलग-अलग नियम हैं। संपत्ति, विवाह और तलाक के नियम हिंदुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग हैं। इस समय देश में कई धर्म के लोग विवाह, संपत्ति और गोद लेने आदि में अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का अपना-अपना पर्सनल लॉ है, जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।
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