उत्तराखंड में जल्द लागू किया जाएगा समान नागरिक संहिता, सीएम धामी ने UCC पर किया बड़ा ऐलान
CM Dhami On UCC: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू किया जाएगा। धामी ने वात्सल्य ग्राम में आयोजित षष्ठी पूर्ति महोत्सव में कहा, विधेयक को मंजूरी के लिए जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा। जानें क्या है सरकार का प्लान।
उत्तराखंड में जल्द लागू होगा यूसीसी।
Uniform Civil Code in Uttarakhand: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कहा कि उनके राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) जल्द लागू की जाएगी। धामी ने यहां साध्वी ऋतंभरा के 'संन्यास' के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वात्सल्य ग्राम, वृन्दावन में आयोजित षष्ठी पूर्ति महोत्सव में कहा कि विधेयक मंजूरी के लिए जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा।
जल्द ही समान नागरिक संहिता की जाएगी लागू
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। विधेयक को मंजूरी के लिए जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा, धामी ने साध्वी ऋतंभरा के 'संन्यास' के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में आयोजित षष्ठी पूर्ति महोत्सव में ये बात कही। यूसीसी सभी धर्मों के लोगों के लिए व्यक्तिगत कानूनों की एक आम संहिता है।
राम भक्तों पर गोलियां चलवाने वालों पर क्या बोले धामी?
धामी ने कहा कि जिन लोगों ने राम भक्तों पर गोलियां चलवाईं, वे न तो राम मंदिर का निर्माण करा सके और न ही अनुच्छेद 370 या रूढ़िवादी ‘तीन तलाक’ की प्रथा को खत्म कर सके। धामी ने कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रतिबद्धता 22 जनवरी को पूरी होगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में भाग लेंगे। साध्वी ऋतंभरा को ‘वात्सल्य’ (स्नेह) और मातृत्व का प्रतीक बताते हुए, धामी ने उनकी लंबी उम्र की कामना की और कार्यक्रम में उपस्थित संतों का आशीर्वाद मांगा। धामी ने कहा, 'मैं राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान दिए गए उनके व्याख्यानों से प्रेरित हुआ।' उन्होंने कहा कि साध्वी ऋतंभरा के स्नेह और आशीर्वाद ने उन्हें और अधिक ताकत के साथ लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया।
यूसीसी से उत्तराखंड में क्या-क्या बदलने की योजना?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर उत्तराखंड विधानसभा में जल्द विधेयक पेश किया जाएगा। धामी के ऐलान से पहले नवंबर माह में एक अंग्रेजी अखबार की ओर से इस बारे में बताया गया था कि ऐसा पता चला है कि रिपोर्ट में लैंगिक समानता और पुश्तैनी संपत्तियों में बेटियों के लिए बराबरी के हक की बात पर जोर दिया गया है। हालांकि, यह महिलाओं की शादी योग्य आयु को बढ़ाकर 21 साल करने का सुझाव नहीं देता है। समिति की सिफारिश में कहा गया है कि औरतों के लिए विवाह योग्य आयु 18 वर्ष ही बरकरार रखी जानी चाहिए। इसका मकसद एक ऐसा कानून बनाना है जो विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों में सभी धर्मों पर लागू हो।
सूत्रों का ये भी दावा है कि इस विधेयक का व्यापक ध्यान व्यक्तिगत कानूनों जैसे विवाह का पंजीकरण, तलाक, संपत्ति अधिकार, अंतर-राज्य संपत्ति अधिकार, रखरखाव, बच्चों की हिरासत आदि में एकरूपता पर है। हालांकि, प्रस्तावित कानून न तो विवाह के लिए किसी धार्मिक रीति-रिवाज को छूएगा और न ही अन्य अनुष्ठानों पर ध्यान केंद्रित करेगा। लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य होगा।
चुनावी वादों में शामिल था यूनिफॉर्म सिविल कोड
उत्तराखंड सरकार ने 27 मई, 2022 को यूसीसी के कार्यान्वयन और राज्य में रहने वाले लोगों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। ध्यान देने वाली बात है कि यूसीसी पिछले साल राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में से एक था। नवगठित उत्तराखंड सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के बाद समिति की घोषणा की गई थी।
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