कांग्रेस के पास सिर्फ 'देशद्रोही विचारधारा' बची- सिंधिया का आरोप, कांग्रेस ने पूछा- ज्योतिरादित्य जब हमारे न हुए तो PM मोदी के क्या होंगे?
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दावा किया कि कांग्रेस राहुल गांधी की ‘व्यक्तिगत कानूनी लड़ाई’ को लोकतंत्र की लड़ाई के तौर पर पेश कर रही है। वह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने और निचले स्तर पर पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया। (फाइल)
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर सियासी वार किया है। उन्होंने बुधवार (पांच अप्रैल, 2023) को आरोप लगाया कि मुख्य विपक्षी दल के पास देश के खिलाफ काम करने वाले ‘देशद्रोहियों’ के अलावा कोई विचारधारा नहीं बची है। हालांकि, पलटवार में कांग्रेस की ओर से बोला गया कि जब सिंधिया राहुल गांधी और अपनी पुरानी पार्टी के नहीं हुए तो भला पीएम मोदी के क्या होंगे।
कांग्रेस में रह चुके बीजेपी नेता सिंधिया ने मानहानि केस में दोषी ठहराए गए गांधी को ‘विशेष तवज्जो’ देने के लिए कांग्रेस को घेरा। उन्होंने इस दौरान कहा, इस पार्टी ने पिछड़े वर्गों का अपमान किया है। सशस्त्र बलों की बहादुरी का सबूत मांगा है और चीन की ओर से सैनिकों को पीटे जाने के बारे में बात की है। बकौल सिंधिया, ‘‘कांग्रेस के पास कोई विचारधारा नहीं बची है। इस कांग्रेस के पास अब केवल एक विचारधारा बची है जो देशद्रोही की है, एक विचारधारा जो देश के खिलाफ काम करती है।’’
उधर, कांग्रेस के मीडिया विभाग के चीफ पवन खेड़ा ने ट्विटर पर वीडियो जारी कर कहा, ‘‘सिंधिया ऐसी बात करते हैं तो हंसी आती है। जो अपने आप को राजनीतिक रूप से प्रांसगिक बनाने के लिए पार्टी बदल ले, नजरें बदल ले, वह व्यक्ति हमें भाषण दे रहे हैं कि राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनने के लिए क्या करना चाहिए।’’ खेड़ा का कहना था, ‘‘यह पूरी तरह से लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। सिंधिया जी इस बात को नहीं समझेंगे, वह नए-नए भाजपा में गए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम पीएम मोदी को दोस्ताना सलाह देंगे कि जिस व्यक्ति को राहुल गांधी और कांग्रेस ने इतना आगे बढ़ाया, वह जब कांग्रेस के नहीं हुए तो आप के क्या होंगे। जो व्यक्ति अपने आप को महाराज कहते हैं वह हमें ‘फर्स्ट क्लास सिटिजन’ कह रहे हैं। महाराज, हम तो संघर्ष करने वाले नागरिक हैं।’’
दरअसल, लंबे समय तक कांग्रेस में रहे सिंधिया को कभी गांधी का करीबी सहयोगी माना जाता था। उन्होंने पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेदों के बाद 2020 में अपने समर्थकों सहित कांग्रेस छोड़ दी थी। कई विधायकों के साथ वह भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके इस कदम से मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी। बाद में शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बने। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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