Dussehra: राजस्थान में सदियों से चली आ रही है रावण को पैरों से रौंदने की अनूठी परम्परा

trampling Ravana with feet: मिट्टी के रावण को पैरों तले रौंदता हैं जेठी समाज, मिट्टी पर पहलवान करते है कुश्ती-दंगल...

मिट्टी के रावण को पैरों तले रौंदता हैं जेठी समाज

हमारे देश में परम्पराओं और रवायतों को शिद्दत से निभाने की अनूठी परम्परा है और जब बात विजयदशमी की हो तो फिर बुराई के प्रतीक को मारने की परम्पराएं अपने आप में खास हो जाती हैं, हालंकि जेठी समाज की हाडौती में संख्या बहुत कम है लेकिन विजयदशमी पर जेठी समाज रावण का वध अलग तरीके से करके अपनी मौजूदगी दर्ज करवा देता है।

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जी हाँ विजयदशमी के मौके पर जहां आज देशभर में रावण के पुतले के दहन की तैयारियां की जा रही है वहीं राजस्थान में कोटा के नांता इलाके में लिम्ब्जा माता के मंदिर में जेठी समाज के लोगो ने हर साल की तरह इस साल भी मिट्टी का रावण बनाकर उसको पैरों से रोंदकर बुराई के प्रतीक का अंत किया।

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यहां पर यह रावण कुछ अलग है यहां रावण बहुत बडा तो नही बनाया गया है लेकिन पेशेवर पहलवान जाति के लोगो की पुरानी परम्परा है कि जेठी समाज के लोग नवरात्रा के शुभारम्भ में ही मंदिर में मिट्टी का रावण बनाते हैं और बुराई के प्रतीक को आज यानी दशमी के दिन पैरों से रोंदकर उस मिटटी पर पहलवान जोर-अजमाइश कर विजयदशमी का पर्व कुछ इस अंदाज में मनाते हैं। दरअसल हाडौती में हाडा राजाओ का शासन था और राजाओं को कुश्ती देखने का बडा शौक था यही वजह है करीब सौ साल पहले यहां के राजा कुछ पहलवान गुजरात से कोटा बुलवाते थे और उनकी कुश्ती करवाई जाती थी।

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