UP ATS: उत्तरप्रदेश में रोहिंग्या के खिलाफ यूपी एटीएस की ताबड़तोड़ छापेमारी, 6 जिलों से 74 गिरफ्तार

UP ATS: उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून—व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि एटीएस को सूचना मिली थी कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुछ रोहिंग्या अवैध तरीके से रह रहे हैं। इस पर एटीएस ने स्थानीय पुलिस इकाइयों की मदद से एक अभियान चलाया और कुल 74 रोहिंग्या लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

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यूपी एटीएस की रोहिंग्याओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई (फाइल फोटो)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल
UP ATS: उत्तरप्रदेश में यूपी एटीएस ने रोहिंग्या के खिलाफ सोमवार को ताबड़तोड़ छापेमारी की है। यूपी के छह जिलों में एटीएस ने छापे मारे हैं। इन छापों में 74 ऐसे रोहिंग्या को गिरफ्तार किया गया है, जो अवैध रूप से छिपकर रह रहे थे।

एटीएस को मिली थी सूचना

उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून—व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि एटीएस को सूचना मिली थी कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुछ रोहिंग्या अवैध तरीके से रह रहे हैं। इस पर एटीएस ने स्थानीय पुलिस इकाइयों की मदद से एक अभियान चलाया और कुल 74 रोहिंग्या लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

कहां से कितनी गिरफ्तारी

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार रोहिंग्या लोगों में 16 महिलाएं और लड़कियां तथा 58 पुरुष शामिल हैं। इन सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है। इस दौरान सबसे अधिक 31 रोहिंग्या मथुरा से धरे गए हैं। इसके बाद 17 को अलीगढ़ से, 16 को हापुड़ से, चार-चार को गाजियाबाद और मेरठ से और दो को सहारनपुर से पकड़ा गया।

हजारों रोहिंग्या अवैध तरीके से रह रहे

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मोटे अनुमान के मुताबिक, हजारों रोहिंग्या राज्य के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से रह रहे हैं। दो साल पहले, यूपी एटीएस ने मानव तस्करी और बांग्लादेश शरणार्थी शिविरों से अवैध अप्रवासियों को यूपी और देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित करने वाले एक रैकेट का खुलासा किया था। यह रैकेट अवैध अप्रवासियों के जाली भारतीय पहचान प्रमाण तैयार करने में भी शामिल था।

कौन हैं रोहिंग्या

म्यांमार की सेना की कार्रवाई के बाद हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान अपने घर छोड़कर भाग गए हैं। जिसके बाद ये बांग्लादेश, भारत समेत कई देशों में शरण लिए हैं। हजारों की संख्या में रोहिंग्या कई देशों में अवैध तरीके छुप कर भी रह रहे हैं।
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शिशुपाल कुमार author

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