Yogi Vs Akhilesh: क्या घोसी उपचुनाव में योगी को चुनौती दे पाएंगे अखिलेश, किसका पलड़ा भारी?
यह सीट मौजूदा विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी, जिन्होंने 2022 यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सीट हासिल की थी।
CM Yogi And Akhilesh
Ghosi Bypoll: चुनाव आयोग ने 6 राज्यों में विधानसभा उपचुनाव के लिए 5 सितंबर को मतदान होगा। इनमें से एक सीट उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट है। घोसी विधानसभा सीट पर भी 5 सितंबर को उपचुनाव होना है। यह सीट मौजूदा विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी, जिन्होंने 2022 यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सीट हासिल की थी। अब वह बीजेपी में शामिल हो गए हैं जिससे अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
दारा सिंह कभी बीजेपी में, तो कभी एसपी में
बीजेपी में रहे पूर्व राज्यसभा सदस्य दारा सिंह का दिल सपा में भी नहीं लगा और दो सप्ताह पहले वह भारतीय जनता पार्टी में फिर से शामिल हो गए। मतदाताओं के बीच खासा प्रभाव रखने वाले चौहान ने पहले 2017 में सीट जीती थी। 2022 के चुनावों से पहले उनके सपा में जाने के बाद यह सीट अखिलेश यादव की पार्टी के खाते में चली गई। आगामी उपचुनाव में इस बात की पूरी संभावना है कि भाजपा एक बार फिर चौहान को इस सीट के लिए नामांकित कर सकती है, क्योंकि उनकी जीत की संभावना अधिक है। इस बीच सपा ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
घोसी सीट पर जातीय समीकरण
मऊ जिले की घोसी सीट अल्पसंख्यक, पिछड़े और आदिवासी मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या के कारण दिलचस्प है। इस मुकाबले के एकतरफा होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि हाल के वर्षों में जीत का अंतर बड़ा नहीं रहा है। यह सीट 2002 से 2012 तक लगातार तीन बार बीजेपी के कब्जे में रही। हालांकि, 2012 में सपा ने जीत हासिल की, लेकिन 2017 में भाजपा को वापस मिल गई। 2022 में फिर सपा ने जीत हासिल कर ली। इस निर्वाचन क्षेत्र में 85,000 मुस्लिम मतदाता, 70,000 दलित, 56,000 यादव, 52,000 राजभर और 46,000 चौहान मतदाता हैं।
दलित, राजभर और चौहान मतदाताओं के साथ भाजपा का जुड़ाव होने के कारण दारा सिंह चौहान को फायदा होगा। इसके अलावा राजभर नेता ओम प्रकाश राजभर की एसबीएसपी पार्टी ने भी भाजपा के साथ गठबंधन किया है, जिससे राजभर मतदाता भाजपा के समर्थन में आ गए हैं। संभावना है कि अखिलेश यादव की सपा को मुस्लिम और यादव मतदाताओं से समर्थन मिलेगा, जो परंपरागत रूप से पार्टी का गढ़ रहा है। इसके अलावा दलितों के लिए अखिलेश यादव का लगातार मुखर समर्थन भी थोड़े बहुत दलित मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है।
किसका पलड़ा भारी
अपने पारंपरिक ब्राह्मण, चौहान, दलित और राजभर वोटों के एकजुट होने के कारण घोसी सीट पर भाजपा का पलड़ा सपा पर भारी दिख रहा है। सपा के वोट बैंक पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का भी असर हो सकता है, जो एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है, जैसा कि उसने 2022 के चुनाव में किया था। बसपा के वसीम इकबाल ने 54,248 वोटों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया, जो कुल वोट का लगभग 21.12% है। बसपा जल्द अपने उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है। वहीं, भाजपा के चौहान को टिकट देने की उम्मीद है, वहीं सपा 2012 में सीट जीतने वाले उम्मीदवार सुधाकर सिंह को चुन सकती है।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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