UP में पिछड़ों की सियासत को परवान चढ़ाने की कोशिश, शूद्रों के अपमान को मुद्दा बनाकर सपा देगी मिशन 2024 को अंजाम

उत्तर प्रदेश की सियासी शतरंज पर चुनावी बाजी का खेल शुरू हो गया है। बीजेपी राम के नाम को आगे रख सनातन संस्कृति की प्रतिष्ठा को पुनः प्रतिस्थापित करने के लिए मैदान में उतरेगी। वहीं सपा ने इसके मुकाबले शूद्रों की गणना को आगे कर दिया है। सपा के शुद्र में भले दो शब्द है लेकिन इसका दायरा बहुत बड़ा है इसमें पिछड़ों में यादव, कुर्मी के अलावा निषाद, प्रजापति, कश्यप, मौर्या, बिंद, राजभर, कोल और दलितों में जाटव और गैर जाटव जातियां शामिल है।

अखिलेश की भाजपा के खिलाफ नई रणनीति

मुख्य बातें
  • अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्या को सौंपी जातीय जनगणना को लेकर आंदोलन की जिम्मेदारी
  • दलित और पिछड़े यानी शूद्रों के अपमान का मुद्दा बनाएगी सपा
  • आम चुनाव की लड़ाई को मंडल बनाम कमंडल पार्ट 2 बनाने की तैयारी
जब 2022 के विधानसभा चुनाव चल रहे थे, तब टीवी इंटरव्यू के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव बीजेपी को घेर रहे थे। अखिलेश इन इंटरव्यू के दौरान खुद को पीड़ित दिखाने के लिए अपनी जाति का सहारा ले रहे थे। इस बहाने अखिलेश की कोशिश यादव वोट बैंक को सहेजने की थी । हालांकि जब नतीजे आए तो ये साफ हो गया कि यादव कम्यूनिटी तो अखिलेश के साथ जुड़ गई, लेकिन बाकी पिछड़ी जातियों ने सपा को नकार दिया। इस बार अखिलेश यादव ने रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने का फैसला किया है। इस बार पिछड़ों की बागडोर खुद ना सम्हाल कर उन्होंने पिछड़े समाज के बड़े चेहरे स्वामी प्रसाद मौर्य को आगे किया है।
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विपक्ष की नीति
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राजनीति में रणनीति, समीकरण, विकास से लेकर कई मुद्दे मायने रखते हैं। लेकिन इन सबसे ज्यादा जरूरी होता है माहौल। बीते कई सालों से देश भर में बीजेपी के सामने कमजोर और मुद्दा विहीन विपक्ष, ऐसा माहौल देखने को मिला है और आम चुनावों के साथ-साथ कई राज्यों में चुनाव के नतीजों ने इस धारणा को और मजबूत किया है। अब विपक्ष ने भी इस पर काम करना शुरू कर दिया है। इस दफा विपक्ष एक रणनीति पर काम कर रहा है। बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी, और उत्तर प्रदेश में अखिलेश इसमें साझेदार है। जातीय जनगणना का बीज बिहार में बोया गया और अब उत्तर प्रदेश में इसे पानी देकर आम चुनावो में इसकी फसल लहलहाने की तैयारी है। अखिलेश यादव ने आज लखनऊ में इस धुंधली तस्वीर को ये कहकर साफ कर दिया कि बीजेपी के लोग उनको शुद्र समझते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस की चौपाई का हवाला देकर शुद्रों का सदियों से हो रहे अपमान का जो जिक्र किया था, अखिलेश ने अपने बयान से उसे प्रमाणित कर दिया है। अखिलेश ने बीजेपी पर ये कहकर आरोप मढ़ा है कि बीजेपी के लोगों को इस बात से आपत्ति होती है कि वो मंदिर जा रहे है, साधु संतो का आशीर्वाद ले रहे हैं। बीजेपी उन्हें शुद्र समझती है। अखिलेश ने खुद को शुद्र बताकर पिछड़ों के साथ दलितों को खुद से जोड़ने का दांव चला है।
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