साथी कैदियों के पत्र लिख-लिख कर उम्रकैद काट रहा कुलदीप बन गया लखपति, नहीं रहा खुशी का ठिकाना

जेल अधिकारियों के अनुसार, इससे पहले किसी कैदी को किया गया सबसे अधिक भुगतान 50,000 रुपये का था। इस जेल में अभी 677 कैदी हैं जिनमें से 80 विभिन्न मामलों में दोषी हैं।

जेल में कैदी बना लखपति

Prisoner became Lakhpati: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक कैदी कानूनी सलाह और पत्र लिखने में अन्य कैदियों की सहायता कर 'लखपति' बन गया और उसे 1.04 लाख रुपये का पारिश्रमिक मिला है। जेल अधिकारियों के मुताबिक कैदी कुलदीप सिंह को विधिक सेवा प्राधिकरण से यह पारिश्रमिक मिला है। सिंह 14 नवंबर, 2017 से जिला जेल में बंद है और उसके पास स्नातक की डिग्री है। हत्या के एक मामले में दोषी कुलदीप आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने उसे याचिका लिखने के लिए कैदी सहायक नियुक्त किया था।

पैरा-लीगल वालंटियर नियुक्त

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्कालीन सचिव अचल प्रताप सिंह ने उसके काम से प्रभावित होकर 19 मई, 2022 को उसे जेल में स्थापित "लीगल एड क्लिनिक" में पैरा-लीगल वालंटियर नियुक्त किया था। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संजय कुमार ने बताया कि समय के साथ सिंह ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन लगन से किया और हाल ही में कुलदीप के बैंक खाते में 1.04 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर की गई। जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने को बताया कि जमा राशि दिखाने वाला बैंक स्टेटमेंट मिलने पर कुलदीप बहुत खुश हुआ। इस घटना ने अन्य कैदियों को भी लगन से काम करने के लिए प्रेरित किया है।

कानूनी सलाह लेने में असमर्थ कैदियों की मदद

उन्होंने कहा, पैरा लीगल वॉलंटियर उन कैदियों की मदद करते हैं जो कानूनी सलाह लेने में असमर्थ हैं। ऐसे वॉलंटियर (स्वयंसेवी) उन्हें बुनियादी कानूनी सलाह, याचिकाओं का मसौदा तैयार करने या आधिकारिक संचार में मदद करते हैं। हालांकि, कैदियों से वकील के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन पैरा लीगल वॉलंटियर को विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पारिश्रमिक दिया जाता है। मुकुंद ने कहा कि कैदी अपनी कमाई का इस्तेमाल अपने परिवार का भरण-पोषण करने, अपने बच्चों की स्कूल फीस भरने और कानूनी फीस चुकाने में करते हैं।
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