'लव जिहाद' पर UP में और कड़ा हुआ कानून, अब आजीवन कारावास, 5 लाख रु. जुर्माना, विधानसभा में पारित हुआ संशोधन विधेयक
UP Govt passes Strict amendment bill Against 'Love Jihad': संशोधन विधेयक में आजीवन कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। धर्म परिवर्तन के लिए विदेशों से होने वाली फंडिंग पर रोक लगाने के लिए प्रावधान और सख्त किए गए हैं।
यूपी विधानसभा में योगी आदित्यनाथ।
- इस धर्मांतरण विरोधी विधेयक में आजीवन कारावास और 5 लाख रु. तक जुर्माना
- अवैध धर्मांतरण के खिलाफ अब कोई भी पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है
- पहले शिकायत के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था
UP Govt passes Strict amendment bill Against 'Love Jihad' : उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानूनी प्रावधानों को और कड़ा बनाने वाला संशोधन विधेयक मंगलवार को विधानसभा से पारित हो गया। इस संशोधन विधेयक में धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है। साथ ही इस संशोधन विधेयक में आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। धर्म परिवर्तन के लिए विदेशों से होने वाली फंडिंग पर रोक लगाने के लिए प्रावधान और सख्त किए गए हैं। खासकर 'लव जिहाद' (Love Jihad) के खिलाफ कानून में सख्त प्रावधान किए गए हैं। अब अपनी पहचान छिपाकर, झांसा देकर या गुमराह कर शादी करने पर आरोपी को कड़ी सजा मिलेगी।
कानून को पहले से ज्यादा सख्त बनाया
संशोधित अधिनियम में छल कपट या जबर्दस्ती कराए गए धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से ज्यादा सख्त बनाया गया है। उप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे की ओर से जारी मंगलवार की कार्यसूची में प्रस्ताव किया गया है कि आज इस संशोधित विधेयक को पारित करने के लिए सदन में चर्चा की जाएगी। संशोधित विधेयक में किसी महिला को धोखे से जाल में फंसाकर धर्मांतरण कर अवैध तरीके से विवाह करने और उत्पीड़न के दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। पहले इसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में पहले दिन सोमवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को सदन में पुरःस्थापित किया था।
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अब कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है
इसमें प्रस्ताव किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को अगर धमकी देता है, हमला करता है, विवाह करता या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा। संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था। संशोधित प्रावधान के तहत यह व्यवस्था दी गई है कि धर्मांतरण मामलों में अब कोई भी व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज करा सकेगा। इससे पहले मामले की सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था, लेकिन अब दायरा बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी इसकी सूचना लिखित तौर पर पुलिस को दे सकता है।
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सभी अपराध गैर-जमानती बनाए गए
ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र अदालत से नीचे नहीं होगी और लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रस्तावित मसौदे के तहत इसमें सभी अपराध गैर-जमानती बना दिए गए हैं। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित 'लव जिहाद' पर अंकुश लगाने के इरादे से यह पहल की थी। नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्यता मिली। मंगलवार को विधानसभा में इस संशोधित विधेयक पर चर्चा की जाएगी और फिर इसे पारित किया जा सकता है।
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