मुलायम के लिए रो पड़ीं बहू डिंपल, अखिलेश के भाई भी जज्बात में न संभाल पाए खुद को; देखें- VIDEO
Mulayam Singh Yadav: अपने समर्थकों के बीच हमेशा ‘‘नेता जी’’ के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव बीमार होने के बावजूद कभी सियासी फलक से ओझल नहीं हुए। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने राज्य का सबसे प्रमुख सियासी कुनबा भी बनाया।
मुलायम के देहांत के बाद एक यूपी की सियासत के एक युग का अंत हो गया। यही वजह है कि उनके चाहने वालों और परिजन से लेकर सियासत के गलियारों में इस समय फिलहाल सूना, सन्नाटा और गम नजर आया।
Mulayam Singh Yadav RIP: समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव अपने जाने के साथ सबको रुला गए। घर के अंदर वाले हों या बाहर वाले या फिर पहलवानी के अखाड़े से लेकर सियासी गलियारों में उन्हें चाहने वाले...सोमवार (11 अक्टूबर, 2022) को हर किसी का चेहरा उदास और मन नम नजर आया। बहू डिंपल यादव और परिवार की अन्य महिलाएं रात को उनके पार्थिव शरीर के पास काफी गम में डूबी थीं। एक पल ऐसा आया, जब डिंपल फफक-फफक कर ससुर के लिए रोने लगीं और तब कुछ महिलाओं ने उन्हें गले लगा ढांढस बांधा।
यही नहीं, मुलायम के भाई अभयराम यादव के बेटे और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव (मुलायम के भतीजे और अखिलेश के भाई) भी जज्बातों में बह गए। इस बीच, उनकी आखें नम हो गईं थीं और वह दीवार पकड़ कर रोने लगे। दरअसल, हुआ हूं कि वह अंतिम दर्शन के बाद बाहर समर्थकों के सामने आए थे, तभी वह एकदम से फूट-फूट कर रोने लगे। सहारा ले दीवार पर माथा टेका और रोने रहे। हालांकि, एक-दो लोगों ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, जिसके बाद धर्मेंद्र यादव हाथ जोड़ कर नमस्कार करने लगे और आगे बढ़ गए।
धर्मेंद्र बच्चों की तरह रोने लगे थे। बताया जाता है कि वह यादव के पार्थिव शरीर के साथ दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल से यूपी के सैफई (मुलायम के पैतृक गांव) पहुंचे थे। रास्ते में मथुरा के पास जब एंबुलें और अन्य गाड़ियों में जब पेट्रोल पंप पर तेल भराया जा रहा था, तब भी धर्मेंद्र बुरी तरह से रोने लगे थे।
यूपी के पूर्व सीएम का अंतिम संस्कार मंगलवार (11 अक्टूबर, 2022) को सैफई के मेला ग्राउंड में दोपहर बाद होगा। वह 82 साल के थे। सोमवार सुबह अस्पताल में उनका निधन हो गया था। शाम को उनका पार्थिव शरीर मेदांता से करीब 311 किलोमीटर की दूरी तय करके यमुना एक्सप्रेसवे के रास्ते एक बड़े काफिले में उनके पैतृक गांव सैफई लाया गया।
अपने समर्थकों के बीच हमेशा ‘‘नेता जी’’ के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव बीमार होने के बावजूद कभी सियासी फलक से ओझल नहीं हुए। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने राज्य का सबसे प्रमुख सियासी कुनबा भी बनाया।
यादव 10 बार विधायक रहे और सात बार सांसद भी चुने गए। वह तीन बार (वर्ष 1989-91,1993-95 और 2003-2007) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1996 से 98 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे। एक समय उन्हें प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी देखा गया था। यादव के पुत्र और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी (2012-2017) तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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