लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं- बंबई हाईकोर्ट

बंबई हाईकोर्ट ने किसी भी धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर के उपयोग को धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं बताते हुए पुलिस को इसके खिलाफ एक्शन लेने के लिए कहा है। अदालत ने अधिकारियों को याद दिलाया कि आवासीय क्षेत्रों में परिवेशी ध्वनि का स्तर दिन के समय 55 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए तथा रात में 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए।

लाउडस्पीकार के इस्तेमाल पर बंबई हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को व्यवस्था दी कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। अदालत ने इसी के साथ कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे ध्वनि प्रदूषण के मानदंडों और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करें। न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति एस. सी. चांडक की पीठ ने कहा कि शोर स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है और कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि अगर उसे लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी गई तो उसके अधिकार किसी भी तरह प्रभावित होंगे।

किस मामले पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह धार्मिक संस्थाओं को ध्वनि स्तर को नियंत्रित करने के लिए तंत्र अपनाने का निर्देश दे, जिसमें स्वत: ‘डेसिबल’ सीमा तय करने की ध्वनि प्रणालियां भी शामिल हों। अदालत ने यह फैसला कुर्ला उपनगर के दो आवास संघों - जागो नेहरू नगर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और शिवसृष्टि कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज एसोसिएशन लिमिटेड - द्वारा दायर याचिका पर पारित किया।

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