हरक्यूलिस का उपयोग, थाईलैंड-नॉर्वे के विशेषज्ञ से संपर्क... उत्तराखंड सुंरग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास हैं जारी
उत्तराखंड में जहां सुरंग स्थित है, वहां के पहाड़ों की नाजुक स्थिति को देखते हुए नॉर्वे और थाईलैंड के विशेषज्ञों की मदद ली गई। इन विशेषज्ञों से यह समझने की कोशिश की गई कि कैसे इन मजदूरों को जल्द से जल्द बाहर निकाला जा सकता है, उसके लिए क्या सुरक्षित प्रक्रिया होगी।
उत्तराकाशी टनल हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन है जारी
Uttarakhand Tunnel: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास जारी है। फंसे मजदूरों के लिए जहां एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन, विशेषज्ञ पिछले 5 दिनों से काम कर रहे हैं, वहीं आज इस रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए विदेशी विशेषज्ञों से भी मदद ली गई है।
वायुसेना ने हरक्यूलिस से भेजा मशीन
मंगलवार देर रात मलबे में ड्रिलिंग के दौरान जब भूस्खलन हुई और मिट्टी गिरने लगी तो रेस्क्यू ऑपरेशन को बीच में ही रोकना पड़ा। इसके बाद ऑगर मशीन भी खराब हो गयी। इस मशीन के बिना ड्रिलिंग संभव नहीं था। ऐसे में दिल्ली से दूसरी ऑगर मशीन मंगवाई गई। सवाल उठा कि इतनी जल्दी ये मशीन उत्तरकाशी पहुंचेगी कैसे, तब वायुसेना के हरक्यूलिस विमान का इस्तेमाल किया गया। वायु सेना के हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी अत्याधुनिक ऑगर मशीन दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गयी जिससे अब दोबारा ड्रिलिंग शुरू हुई ।
विदेशी विशेषज्ञों से मदद
उत्तराखंड में जहां सुरंग स्थित है, वहां के पहाड़ों की नाजुक स्थिति को देखते हुए नॉर्वे और थाईलैंड के विशेषज्ञों की मदद ली गई। इन विशेषज्ञों से यह समझने की कोशिश की गई कि कैसे इन मजदूरों को जल्द से जल्द बाहर निकाला जा सकता है, उसके लिए क्या सुरक्षित प्रक्रिया होगी। 800 मिमी और 900 मिमी निकासी ट्यूब डालने के लिए लगभग 50 मीटर मलबे में प्रवेश करना पड़ेगा। एक बार ऐसा होने पर, मलबे के दूसरी तरफ फंसे कर्मचारी सुरक्षित रूप से बाहर निकल सकते हैं।
क्या बोले अधिकारी
घटनास्थल पर मौजूद डीएम अभिषेक रूहेला ने रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर कहा कि हमने दूसरा पाइप अंदर डाल दिया है, और अभी तक कोई कठिनाई नहीं हुई है। हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही श्रमिकों तक पहुंच जाएंगे। हम कोशिश कर रहे हैं कि ऑपरेशन जल्द खत्म हो जाए। वहीं NHIDCL टनल प्रोजेक्ट के निदेशक अंशू मनीष खुल्को ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ तकनीक, सर्वोत्तम तकनीशियनों और सर्वोत्तम विशेषज्ञों के कारण हम पूरी तरह आश्वस्त हैं और हमने बाहर से सलाह ली है। प्रशासन हमारे साथ है इसलिए मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई कठिनाई होगी। हम श्रमिकों से लगभग 60-70 मीटर दूर हैं।
सीएम बोले करेंगे समीक्षा
पिछले चार दिन से सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए भारी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तराखंड में बन रही सभी सुरंगों की समीक्षा की जाएगी। धामी ने कहा- "सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत आने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) सुरंग की निगरानी कर रही थी । हमें ऐसी सुरंगें चाहिए और उनमें से कई निर्माणाधीन हैं। जहां भी ऐसी सुरंगें बनाई जा रही हैं, हम उनकी समीक्षा करेंगे।"
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