UP: सेंध लगाने के मूड में SP! अलग होने के बाद से ही राजभर वोटबैंक पर निगाहें, नए पैंतरों से जुड़ा यह है प्लान

Uttar Pradesh Politics: दरअसल, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से अलग होकर बनी सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी को सपा बढ़ावा देने में लगी है।

ओम प्रकाश राजभर और अखिलेश यादव। (फाइल)

Uttar Pradesh Politics: उत्तर प्रदेश (यूपी) में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) बड़ी सेंध लगाने के मूड में नजर आई है। वह ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के वोट बैंक पर नजर गड़ाए बैठी है। ये निगाहें राजभर के अलग होने के बाद से ही टिकी हैं, जबकि फिलहाल वह उनके वोटों को साधने की रणनीति तैयार कर चुकी है। आइए, जानते हैं कि राजभर वोटों को हासिल करने के लिए सपा के नए पैंतरों से जुड़े प्लान में क्या कुछ है:

यादव ने ऐलान किया है कि सपा गोमती तट पर महाराजा सुहेलदेव का स्मारक बनवाएगी। सपा मुखिया के मुताबिक, सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी संघर्ष की कोख से निकली है। पार्टी के मुखिया महेन्द्र राजभर संघर्ष के दिनों के साथी हैं। घोसी उपचुनाव में उन्होंने ईमानदारी से साथ दिया। यह साथ लंबा चलेगा, जबकि सपा सामाजिक न्याय के लिए जातीय जनगणना की मांग करती है।

महेन्द्र राजभर ने यादव पर भरोसा जताते हुए सामाजिक न्याय की लड़ाई में राजभर समाज के भी शामिल रहने का संकल्प जताया। उन्होंने कहा कि राजभर समाज के हक और सम्मान के लिए समाजवादी पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के साथ मिलकर सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे। दरअसल, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से अलग होकर बनी सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी को सपा बढ़ावा देने में लगी है।

सपा के एक सीनियर नेता ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि उनकी पार्टी ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक को आगे बढ़ाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं। राजभर को सपा ने बहुत सम्मान दिया। उनको 2022 के विधानसभा में उनके हिसाब से टिकट बांटे। पर वह सत्ता के लालच में भाजपा के साथ चले गए। भाजपा भी उन्हें इस्तेमाल कर रही है। वह मंत्री बनने के चक्कर में हैं, मगर पता नहीं उन्हें सफलता कब मिलेगी।

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