उत्तराखंड टनल हादसा: 40 जिंदगियां खतरे में, 10 प्वाइंट में जानिए अब तक क्या-क्या हुआ
Uttarakhand Tunnel Rescue: मजदूरों को बचाने की कोशिशों को मंगलवार देर रात उस समय झटका लगा, जब एस्केप टनल बनाने के लिए शुरू की गई ड्रिलिंग को ताजा भूस्खलन के चलते रोकना पड़ा।
Silkyara Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले तीन दिन से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने की जद्दोजहद जारी है। लेकिन इन कोशिशों को मंगलवार देर रात उस समय झटका लगा, जब एस्केप टनल बनाने के लिए शुरू की गई ड्रिलिंग को ताजा भूस्खलन के चलते रोकना पड़ा। इससे पहले मंगलवार को अधिकारियों ने मजदूरों के परिजनों की उनसे बात भी कराई थी। लेकिन इनका सब्र टूटटा जा रहा है।
इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ
- उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बचाने के प्रयास 70 घंटे से जारी हैं। ये सुरंग रविवार सुबह ढह गई थी। इन्हें सुरंग से निकालने की कोशिशें लगातार जारी हैं। मजदूरों तक पाइप के जरिए ऑक्सीजन और खाना पहुंचाया जा रहा है।
- लेकिन मंगलवार रात को बचाव कार्य में बाधा आई। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार रात साढ़े 12 बजे तक मलबे में माइल्ड स्टील पाइप डालने के लिए ड्रिलिंग का काम किया जा रहा था, पर भूस्खलन होने के कारण उसे रोकना पड़ा।
सिलक्यारा सुरंग हादसा
तस्वीर साभार : PTI
- इस बीच, सिलक्यारा सुरंग में ड्रिलिंग के लिए स्थापित की गई आगर मशीन भी खराब होने की भी सूचना आई। मंगलवार रात को भी सुरंग में भूस्खलन होने से बचाव कार्यों में जुटे दो मजदूर मामूली रूप से घायल हो गए थे।
- ड्रिलिंग मशीन में खराबी आने के बाद से अब दिल्ली से अमेरिकन आगर मशीन यहां भेजी जा रही है। आगे की खुदाई का काम इससे ही किया जाएगा।
सिलक्यारा टनल
तस्वीर साभार : PTI
- बचाव अधिकारियों ने स्टील पाइप डालने के लिए बरमा ड्रिलिंग मशीन के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार करने में कई घंटे लगाए थे, लेकिन मंगलवार की रात को हुए भूस्खलन ने उन्हें मशीन को हटाने और फिर से प्लेटफॉर्म पर काम शुरू करने के लिए मजबूर कर दिया।
- अधिकारियों ने कहा कि सुरंग को अवरुद्ध करने वाले लगभग 21 मीटर स्लैब को हटा दिया गया है और 19 मीटर रास्ते को साफ किया जाना बाकी है। बचाव कार्यों में मदद के लिए अब नई दिल्ली से नए उपकरण लाए जा रहे हैं।
सिलक्यारा टनल
तस्वीर साभार : PTI
- एसडीआरएफ ने कहा कि एक नई ड्रिलिंग मशीन स्थापित करने पर काम चल रहा है। फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने में हो रही देरी को लेकर कई मजदूर बचाव स्थल पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
- कंक्रीट के विशाल ढेर ने सुरंग को अवरुद्ध कर दिया है इसकी टूटी हुई छत से मुड़ी हुई धातु की छड़ें मलबे में दबी हुई हैं, जो बचाव कर्मियों के लिए और अधिक मुश्किलें पैदा कर रही हैं। ज्यादातर मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से हैं।
- योजना यह है कि ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल करके हल्के स्टील पाइपों के 800 और 900 मिलीमीटर व्यास वाले दोनों खंडों को एक के बाद एक मलबे में डाला जाए और उन मजदूरों के लिए निकलने का रास्ता बनाया जाए।
- पाइप के जरिए ऑक्सीजन, पानी, भोजन के पैकेट और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने कहा कि आठ 900-मिलीमीटर व्यास वाले पाइप हैं जिनकी लंबाई छह मीटर है और 800-मिलीमीटर व्यास वाले पांच पाइप समान लंबाई के हैं।
सिलक्यारा टनल में बचाव कार्य जारी
तस्वीर साभार : PTI
भूस्खलन के बाद धंस गया सुरंग का एक हिस्सा
बता दें कि ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा और डंडालगांव के बीच बन रही सुरंग का एक हिस्सा रविवार को भूस्खलन के बाद धंस गया। फंसे हुए श्रमिकों के पास चलने और सांस लेने के लिए लगभग 400 मीटर का बफर है। बचाव दल ने वॉकी-टॉकी से श्रमिकों के साथ बातचीत भी की है। शुरुआती संपर्क कागज के एक टुकड़े पर एक नोट के माध्यम से किया गया था, लेकिन बाद में बचावकर्मी रेडियो हैंडसेट का उपयोग करके संपर्क करने में कामयाब रहे। वहीं, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि भारतीय वायु सेना से बात हो गई है और जल्द ही उसके विमान से दिल्ली से बड़ी मशीनें मौके पर भेजी जाएंगी, जिससे मजदूरों को जल्द ही सुरंग से बाहर निकाला जा सकेगा।
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